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ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol .

0 1 - No 05

Fifth Issue
July - 2011

Tantra kaumudi July 2011 1|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

तं शि िवशेष िन य मंघन संसेवनीयं मुदा ,िव ािम पराशरा द ऋिषिभ: संरि तं व धतं ||

तं ेणािधगतं सम तमपरां िस च भा योदयं ,तं ाचाय पर परासु िनिखलं व दे जगत सदगु ं ||

तं िवशेष शि यु एक िवधा का नाम ह , जो अ यंत पावन तथा जीवन के िलए अमोघ


शि कही जाती ह | िव ािम , पाराशर , आ द ऋिषय ने िजसे संरि त एवं संव धत कया
तथा तं के मा यम से उ ह ने अन त िसि य को ा करके अपना भा योदय कया
| उ ही तं ाचाय क परं परा म जग गु के प म िस भगवान् िनिखले रानंद के ी चरण
म तं िसि ाि के िलए बार बार नमन करता .ँ

Tantra is the name of a way, enriched with specific divine powers.


That isused to known as the holiest and very important unfailing
power for life. This tantra shakti has been protected and riched by
sages like Vishwamitra, parashar and through tantra, they became
fortunate by achieving infinite siddhis. In that holiest order
(parampara) of Tantraachary I bow down to the divine holy feet of
jagatguru Sadgurudev Bhagvaan Nikhileshwaranand ji, for getting
siddhita in Tantra siddhi.

Tantra kaumudi July 2011 2|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

PUBLISHER

Tantra kaumudi e-magazine

Nikhil Para Science Research Unit


Can be contacted through

http://nikhil-alchemy2.com

www.Nikhil-alchemy2.blogspot.com & Nikhil_alchemy yahoo group

TEAM MEMEBERS OF TANTRA KAUMUDI E- MAGAZINE

Editor Associates editor s And Creative Designer

[email protected] [email protected] [email protected]

Tantra kaumudi July 2011 4|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Name of the Articles

 General rules

 Editorial

 Sadguru Prasang

 Karya vadha nivaran Ganpati prayog

 Sabar sadhana main safalata ke Adbhut sutra

 Sarv vadha vinashak sabar sadhana

 Sabar Guru Praytksh sadhana

 Kundalini chakra jagaran Sabar sadhana

 Teevra yaksh gandharv vashikaran sabar sadhana

 Dev pratyakshikaran sabar sadhana

 Vivah vadha nivarak sabar sadhana

 Muslim sabar sadhan prayog

 Soota rahasyam-Part 5

 Swarna rahasyam- part 5 -

 Lakshmi sadhana (two prayog)

 Sabar sadhanaye hikyon.

 Importance of Sabar yantra

 Nath jagat ki Adbhut divy mudrayen

 The effect of Chandaal yog

 Secret of Nirgad dwar

 My first experience with sabar mantra

 Maha siddh shivyogtryanand ji

Tantra kaumudi July 2011 5|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

 Nath siddh Pratykshikaran sadhana

 Manomay jagat se Sadgurudev se prapt sadhanye

 Ayurveda

 Totaka vigyan -

 In The End

All the articles published in this magazine Are the sole property of Nikhil Para
science Research unit, All the articles appeared here are copy righted for NPRU. No part of any
articles can be used for any purpose without the prior written permission obtained from NPRU.

You can Contact Us at [email protected].

Tantra kaumudi July 2011 6|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

:
This free e magazine available only to the follower register in the
blog Nikhil-alchemy2.blogspot.com. and also nikhil-alchemy groups
memeber . the article appear here, are /will be based on the divine wisdom
of SadGurudev Dr Shri Narayan Dutt Shrimali ji , and his sanyasi shishyas .
we as a your fellow guru brothers, here just providing words to their thought. For
the address of these mahayogi’s are not known to us, as they all are
wondering saints.

The sadhana and mantra’s appeared /mentioned in any article can be practiced ,on
your own responsibility, if would be much better ,if prior related diksha ,and
permission ,direction and guidance opt from sons of poojya paad sadgurudevji .
Poojya Gurudev Shri Nandkishor shrimali ji,
Poojya Gurudev Shri Kailash Chandra shrimali ji,
Poojya Gurudev shri Arvind shrimali ji,
can be contacted at Jodhpur Rajasthan(India).

Please do not ask us for any type of sadhana related materials, and also for Diksha
related Queries , for that you have to contact directly poojya guru Trimurti at jodhpur.

Since sadhana is a very complex matter, for success and failure of any
sadhana mentioned in any article here , many things required , to get success . that’s
why ,we do not take any responsibility in this connection. we also request, not to do
any sadhana ,which is adverse and not permitted as per legal, morel, society belief.

This e magazine will be published monthly. You are receiving this magazine
means that you are accepting the terms and conditions . at any time , you
can withdraw your registration . this e magazine just a forum to share
knowledge between us ( Sadgurudev ji’s shishyas - All guru brother and sisters ),

if still any one raises questions regarding the authenticity of articles


published here , for them, treat all articles just as a fiction and a ear say.

Tantra kaumudi July 2011 7|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

......

ि य िम , जय गु देव,

ये अंक १ माह पूव िनकालना था,पर तु कु छ अप रहाय कारण से इसम िवल ब हो गया था,इस माह
आपको दू सरा अंक भी माह के अंत तक िमल जायेगा जो क ,कायाक प तं एवं स दय तं महा
िवशेषांक होगा.हम अपनी तरफ से अ यिधक प र म करते ह कसी भी अंक को आपके सामने सही
तरीके से तुत करने के पहले,और हमेशा यही यास रहता है क कोई कपोल कि पत या ामक
साम ी आप तक कभी ना प ँच.े ये इतना आसान काय नह है. अब जब क ४ वष से लॉग पर हमने
लगातार तं िवषय को सरल तरीके से सबके सम रखने का यास कया है,उस काय म िमले आप सभी
के सहयोग के कारण ही हम ने इस पि का को आप सभी के सामने रखने का यास कया है.

ये अंक ब त मह वपूण है,इस दृ ि से भी य क साबर मं साधना के कई गोपनीय रह य आपके


सम थम बार ही आयगे.ये समूचा ान सदगु देव ारा ही सा रत कया गया था,िजसका संकलन
मा हमने कया है. हाँ आप इन योग को करके देिखये आपको िनराशा नह होगी. ये मा पढ़ने के
िलए नह है.अिपतु योग कर परखने के िलए ह ,इसम से ब त से रह य से आपका सा ा कार थम
बार ही होगा,साबर साधना मा झाड-फू क ही नह अिपतु अ याि मक और भौितक ऊँचाइय को भी
ा करने म भी सहायक है.उसी त य को यान म रख कर हमने िवषय को आपके सामने रखने का
यास कया है.

हम इस पि का के िवरोध म ब त से मेल िमले थे पर उससे कोई फक नह पड़ता. यूं क कोई भी गु


परं परा ान के सार के िलए नह रोकती है,और ये सनातन स य है,हम ना ही दी ा देते ह और न ही
साम ी का िव य ही.हाँ ान का जो प छु पकर अ धकार म रखा गया था उसे मा सामने रखने का
यास ही हम तीन भाई कर रहे ह. ना ही हमारा कोई काम गु िवरोधी है. हम हमारे स गु ने इतना
िववेक दया है क िश यता क मयादा का िनवाह करते ए सभी काय कये जा सकते ह. कभी
सदगु देव ने कहा था क “य द कोई गु सव समथ है तो वो हमेशा आपक स ाई को जानता है,उसे
कोई चापलूस िमत नह कर सकता और ना ही कान भर कर कसी स े िश य के ित उकसा ही सकता
है, उसे कसी भी िश य से कसी कार क सफाई नह चािहए होती है.” अब कोई गु के वयं के घर म
रहते अपना आ म या मठ बनाना चाहे और कितपय िश य उसके ष ं म साथ दे और अपने आपको
पूण सम पत िश य घोिषत करे.और य द मने साथ नह दया धन स ब धी कोई मदद नह क तो म उन
सभी ढ िगय से बुरा हो गया, या ये सब गु को पता नह होगा ?? ये तो असंभव है ना.इसिलए मुझे
अपनी गु स ा को कोई सफाई कभी नह देनी वे सव समथ ह,मेरे अंतस म िवराजमान ह,िजस दन म

Tantra kaumudi July 2011 8|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

गलत होऊंगा ,मेरे ाणाधार मेरे सदगु देव िनिखल एक ण नह लगाएंगे मुझे बबाद करने म ,और
ऐसा िवचार मेरे मन म आने के पूव म खुद अपना जीवन समा कर लूँगा.

पर हाँ..मुझे मेरे स गु ने ऐ य ाि क िविधयां भी िसखाई है और वयं के ित कसी के षड़यं


करने पर सजा देना भी िसखाया है,म गव से कहता ँ क मने इन या का सदगु देव के िनदशन म
अ यास कया है इसिलए,इन िवषय को म आपके सामने रखने का साहस रखता ,ँ मुझे मेरे स गु ने
सह बनाया है, कायर नह .इसिलए य द कसी ने कोई भी अपकृ य करने क कोिशश क तो वो कसी
नु सान के िलए मुझे दोष ना देना. म अपने रा ते पर अपना काय करते जा रहा ँ , अतः मुझे अपना
काय करने दया जाये.ऐसे येक क ठन ण म मेरे यारे अनुराग भाई और रघुनाथ भाई का साथ मेरे
िलए मरहम के समान रहा है .उनका सहयोग हमेशा साथ रहता है.

खैर आप सभी इस अंक को पढकर अपनी राय ज र बताइयेगा ,तब तक हम अगले अंक क तयारी कर
रहे ह....

व दयम व तु िन खलं तु यमेव समपयेत

आपका ही

आ रफ खान ‘िनिखल’

Tantra kaumudi July 2011 9|P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

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मह ष यास के परम व ान पु शुकदे व एक अवसर पर अपने पता से कुछ आगे चलते हु ए कह ं गो ी म जा रहे थे
और मह ष यास अपनी आयु अिधक होने के कारण म द गित से गितशील थे । आगे कुछ पवती अ सराओं का
एक दल सरोवर म जल ड़ा करता हु आ कलोल कर रहा था । शुकदे व उनके समीप से होकर िनकल गए, क तु
अ सराओं के ऊपर कोई भाव नह ं पड़ा । थोड़ ह दे र बाद जब मह ष यास उस झुंड के समीप आए तो सम त
अ सराओं म खलबली मच गयी और वे एक दू सरे को ध का दे ती हु ई व प हनने क हड़बड़ म पड़ गयीं । यह
दे खकर मह ष यास का ोध यु होना वाभा वक ह था, उ ह ने अ सराओं को िध कारते हु ए कहा क जब मेरा
युवा पु तु हारे समीप से िनकला तब तो तु ह कोई ल जा नह ं आई और जब म वयोवृ पु ष तु हारे समीप से
िनकल रहा हू ं तो तु ह इस कार ल जा व भय अनुभव हो रहा है । अ य अ सराएं तो चुप रह ,ं क तु उनम से एक
अनुभवी व कंिचत ौढ़ अ सरा ने सहज उ र दया - ‘‘मह ष यह तो खेद है क आप ‘पु ष’ ह । आपके पु जब
हमारे समीप से िनकले तो वे आ मवत ् थित म रहते हु ए वयं म लीन थे, उ ह भान ह नह ं क हम कौन ह और

Tantra kaumudi July 2011 10 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

या कर रह ह इसी से हम कोई ल जा भी अनुभव नह ं हु ई, क तु आपने कुछ दू र से दे खा क शायद यां ह,


पास आकर पुनः आंख मीचीं, क या ये िनव होकर नान कर रह ह ! और आपक आंख के भाव से ह हम
ल जा का अनुभव हु आ ।’’

यह कथा आज तं के वषय म भी कह जा सकती है । जो आ म-च ु से इसे दे ख रहा है उसके िलए कोई


हड़बड़ाहट या वकृ ित नह ,ं क तु शेष सभी क आंख म एक चमक उतर आती है क - या? या तं ? अथात ्
पंचमकार! अथात ् मांस-म दरा और मैथुन? यह तो घोर पाप है ! सीिमत केवल पाप-पु य का ववेचन कर,
अपने अ दर क वकृ ितय को थोड़ा गुदगुदा कर, एक खास नजर से चटखारे लेकर तृ हो जाती है । पुनः पुनःवह
िलखना पड़ता है क नह ,ं ‘तं का यह व प नह ं ।’ तं का वा त वक वच प तो कुछ और है , मांस का अथ कुछ
और है , म दरा का अथ कुछ और है तथा मैथुन का अथ िशव-श का िमलन है । अब समय आ गया है क इस
त य का खुलासा कर ह दया जाए और प कर दया जाए क वा तव म तं या है , तां क कौन है , ‘पंचमकार
या है , और उनका वा त वक योग या है । जस कार से प श द म मन कहा क हां! म तां क हू,ँ उसी
कार दो टू क प श द म कहता हू ँ क वा तव म जो पंचमकार ह वे वा त वक ह, उनका कोई दू सरा अथ है ह
नह ,ं वे उसी अथ म यु होते ह जस प म उनक सं ा है । अ ील या ील होना य - वशेष क होगी ।
तां क और तं के वे ा क म वे केवल थितयां मा ह, न ील न अ ील, ठ क मह ष शुकदे व क भांित ।

मने ार भ म ह कहा क मेरा यह प रचय है क म तां क हू ,ँ जो पूण भी है और अपूण भी, य क यथाथ प से


एक व ान क म इससे अिधक प रचय क आव यकता ह नह ,ं अतः यह पूण प रचय है , क तु समाज क
म यह अपूण है , य क उसक प रभाषाएं सीिमत ह, एकांगी है और सह कहा जाए तो लोलुप है । म इसी
से समाज से कहना चाहू ं गा क म सौ दयवान हू ,ं म पवान हू ,ं म क णामय हू ,ं म आ थावान हू ,ं म सृ जन क
मता से यु हू ,ं म िशवमय हू ,ं म श मय हू ं और यह सूची यह ं पर समा नह ं होती, जससे एक ह श द म
पुनः कहना पड़ता है क, म तां क हू ं !
तं जीवन का सौ दय है , तं एक दप है , तं कोई भोग क िलजिलजाहट या भोग, मैथुन म डू बा वषय नह ं । यह
तो स म पु ष के जीवन क वषयव तु है और स म पु ष श द उ चा रत करते ह जो ब ब बनता है , जब क
स म पु ष तो वह है जो दय से नार हो, सृ जन क मता से यु हो, पालन करने के आ ह को अपने म समेटे
हो, ममतामय हो, क णामय हो, आ थावान और तेज यु हो । अ नार र हो, भगवान िशव क क णा और
जगद बा क पालन- मता समेटे हो, जसक एक आंख म ोध झलक रहा हो तो वह ं दू सर आंख म ेम तैर रहा
हो । वन कर दे ने क मता रखता हो तो पुनः िनिमत कर दे ने का साहस भी समेटे हो । ऐसे ह य से जीवन
क पूण ता िनिमत होती है । ऐसे ह य के अंदर गु व समा हत हो सकता है । ऐसा ह य सकारा मक प
से कुछ ा कर सकता है ।

Tantra kaumudi July 2011 11 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

सह अथ म दे ख तो हम और आप येक तां क ह तो ह, अ तर केवल तं का है , यु कए जाने यं का है ।


एक िम ी अपने हाथ म छ नी लेता है और मकान गढ़ दे ता है । एक लुहार अपने हाथ म हथौड़ लेकर कोई ढांचा
खड़ा कर दे ता है । कलाकार अपने हाथ मं◌े कूची लेकर िच बना दे ता है और लेखक कलम लेकर का य रच दे ता है
। आसपास चार ओर येक य कसी न कसी रचना म त लीन है ह । येक ने एक ‘‘म ’’ का पान कर रखा
है और अपने काय को पूण ता दे ने म खुमार म डू बा हु आ है । येक ने एक ‘मु ा’ धारण कर रखी है । येकने
अपने मांस अथात ् ‘म य’ क भांित गहरे जाकर त लीन है और एक सुखद रचना के आन द म म न है , जो क
सांसा रक भाषा म मैथुन के अित र और या कहा जा सकता है ? येक पु ष म एक ी िछपी है और येक
ी म एक पु ष और वह आ म प से उससे िमलने के यास म संल न है ह । यह तं भी कहता है , इतना ह तो
तं समझाने का आ ेह करता है , क तु उसे पूवा ह से भी अिधक दु रा ह म ब कर दया गया है । यह केवल
दिमत वासनाएं और कुछ का कुछ खोजने क दबी-िछपी वृ का अंग नह ं तो और या कहा जा सकता है ?

तं ऊजा का एक व फोट है , सृ जन वशेष का ण है और इस व फोट क चरम प रणित को ी-पु ष िमलन के


ण म प रभा षत करने के अित र भला कन अथ म कया जा सकता है ? यथाथ तां क को तो एक ी दे ह
क आव यकता होती ह नह ,ं येां क वह वयं ह रजमय बनता हु आ उस थित को ा कर लेता है और ी भी
वयं वीयमय बनती हु ई तं क ाता बन सकती है , क तु सामा यक जन के िलए इसे इस प म प रभा षत
करने का प रणाम यह हु आ क मैथुन ह तं का सवािधक चिचत व याित ा त व हो गया । मैथुन को आधार
बना कर ाचीन काल म ह वकृ ितयां नह ं पनपीं वरन ् आज एक त के नाम पर जो कुछ भीकहा या रचा जा रहा
है , वह भी अधकचरा व अपूण है । मनु य क जो मूल वृ होती है , और इसी से छ बु जी वय , छ कलाकार
ने अपनी रचनाओं म त का अथ मैथुन ह गट कया ।

तं मनु य क इसी वृ को जो उसक मूल वृ है , उसको प प से कहता है , उसका िनदान बताता है । तं


इतना ह का वषय नह ं है , तं इतना सीिमत वषय भी नह ं है , तं इतना सहज और आम चचा का वष तो है ह
नह ,ं क तु आज क प र थितय के स दभ म यह आव यक हो गया क तं का पुन आंकलन तो कर ह िलया
जाय, साथ ह तं क भावभूिम को भी प कया जाए जससे तं के ित एक व थ कोण का िनमाण हो,
नूतन चेतना का आ वभाव हो, नए वातावरण का सृ जन कया जा सके ।

आ दोलन , चार और राजनीित के सहारे तो बहु त यास कए जा चुके ह अब य न तं के मा यम से एक


स पूण समाज के गठन क बात सोची जाए? य न इस मा यम से एक-एक जीवन को स पूण व प रपूण बनाने

Tantra kaumudi July 2011 12 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

का यास कया जाए? य क तं ह एक ऐसा माग है जो जीवन म कुछ भी या य या अ ील घो षत नह ं


करता, जो भोग के ित याग क धारणा को बल नह ं दे ता, जो एक िश खुलेपन का समथक है और ण
मानिसकता के थान पर व थ व प रतृ मानिसकता के सृ जन का हामी है , य क याग क वृ क से
अ जत क गई वृ होती है , और मानव क मूल वृ भोग के व होती है । तं भोग का पयाय नह ं है , क तु
मनु य को व थ प से भोग माग म वृ कर शनैः शनैः उस ओर वृ कर दे ता है जहां उसे वतः ह भोग से
अ िच हो जाती है ।

अपने गु के िनदशन म पंचमकार का सेवन करने से य शी ह समझ जाता है क यह सुख उस परम सुख
क तुलना म अ य त तु छ और अ थायी है । तं क इस उदारता का अथ य द मनमाना लगा िलया गया, तो
इसम तं का दोष कहां से उ प न होता है ? इतना तो एक साधारण बु रखने वाला य भी समझता है ।

इसी से म प कहता हू ं क हां ! तं म पंचमकार उसी प म है , क तु भोिगय के िलए ह नह ,ं वरन ् योिगय के


िलए ह , य क उनक भाव-भूिम सवथा िभ न होती है और जो य उस थित पर अव ढ़ नह ं हो सकते,
उनके िलए भी ऐसा नह ं क तं का माग बंद हो, उ ह कुछ अलग ढं ग से उसम वृ होना पड़ता है , द णमाग य
तं का आ य लेना पड़ता है ।

य द अंितम ल य हमार आंख के सामने प हो, तभी प हो सकेगा क तं के सम तो कोई भी ान या


चेतना टकती ह नह ,ं य क तं सृ जन कर दे ने का व ान है । कोरे उपदे श व भटकावदार सुनहरे माग क
अपे ा दो टू क प सीधा रा ता है , यह बात और है क यह रा ता थोड़ा पथर ला है , इसमं◌े ठोकर लगने का कदम-
कदम पर डर है , ले कन यह माग कसी मृ ग-मर िचका पर जाकर नह ं समा होता, इस माग के उस ओर तृ ि का
मीठा सागर है , श मयता का अनोखा अमृ त है और कृ ित से पूण तः तादा य था पत कर लेने क अनोखी
या है ।

जसने कृ ित से ह तादा य कर िलया वह तो मां भगवती जगद बा का ह एक अंश हो गया, फर वह ओछा और


घ टया कहां से रह सकता है ? और इसी से यथाथ तां क के क णा का अपार सागर लहराता रहता है । जस कार
एक ी सृ जन क श से यु होते हु ए भी अपने पु के ित वा स यमय रहती है , ठ क वह ं , वह चेतना
एक तां क क होती है , जो थितय का सृ जन कर सकता है , वह वतः परम का णक हो ह जाता है । यह तं
का आ नद है , यह तं क उ चता है और इसी भाव-भूिम पर खड़ा होकर म अ य त गव से कह रहा हू ं क- हां ! म
तां क हू ं ।

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Tantra kaumudi July 2011 13 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Once upon a time great scholar and sun of maharishi vyas , shukdev was moving
towards to attend a goshthi (meeting), maharishi vyas walked little slower as compare
to his younger son shukdev. some distance ahead beautiful apsara’s are playing in the
lake, when shukdev pass nearer to them , there was no affect on those apsara’s but when
maharishi vyas reaches nearer to them , they all got shocked and hurried to take their
clothes, on seeing that it was natural that maharishi vyas got angry he rebuked to them
and told it was very shameful when my youthful son passes nearer to you all, you
showed no shame, but when I, who was much older man ,than you all show shame. All
the apsara absorbs total silence replied none except one who was much mature replied
to maharishi” maharishi ,regret is this , that you are a man , when your younger son pass
nearer to us , he was absorbs in him self, he is totally unaware of the situation that who
we are, and what we are doing” but when you come closer to us , you think that perhaps
these are the woman, may be bathing completely nude condition, and because of the
feeling in your eyes , we feel shame.

This story can be fully applicable to the tantra world, those who are in atamvat stage, for
them there is no disturbance, no bad or good thought, but remaining all have a special
feeling about this thinking that.. what? What is tantra ? ,means panchamakar means
maans , madira and maithun (wine, flesh , and sexual relationship) this is great sin., those
who have limited vision they generally due to their reservation take this subject just for
amusement, repeatedly have to write that this is not the real aspect of tantra, tantra is
something else mans is having something different meaning, madira has also, and same
thing with maithun means actual the unity of shiv and shakti. Now the time has arrived
to express the real meaning what is actually tantra stands for , what is panchmakar ,
what is the real actual use of that, as I have clearly mentioned that I am a tantraik like the
same way I am saying that those what is panchamakar is having the same meaning there
is no other meaning of the word, and applicable in the same way as it appears to us.
Whether this is related to ashlil (related to adult) or shill (general perspective) is
depends upon the person view. For tantra or master of tantra these are just a state
neither ashlil or shalil just like for maharishi shukdev.

In the beginning I have said that its mine introduction that yes I am a tantric this is

Tantra kaumudi July 2011 14 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

complete and incomplete too, since one who have practical vision this is complete
introduction nothing more needed , but for the view of society this is incomplete since
their definition Is limited, their vision is full of reservation , in the true way if it is said
they are sensuous oriented, that s why I am saying to society that I am full of beautify, I
am handsome, I am full of compassion, I am be of faith, I am having the power to create, I
am be of shivmay, I am shaktimay, and this definition does not end here so again I have
to say that I am a tantrik.

Tantra is the beauty of life , tantra is a darp (aspect to accomplish), tantra is not related
to lower aspect of bhog ,neither absorbs in bhog or maithun, theses are the aspect
related to complete person, here complete word relates to or provide the vision of a
person who is stronger, and that have the heart of a woman, having power to creation
and having desire to care, full of compassion, having faith, having radiance ,. Like
ardhnarishwar (special form of bhagvaan shiv that have half part of shakti and half part of
shiv), having compassion of shiv and caring capacity of mother divine. his one eye has
the fire of anger and other eyes full of love/sneh. Those one who have power to destroy
and having capacity to create, this type of person creates the life. theses person has the
gurutav, this type of person positives can achieve .

In true sense if we see, found that we and you all are tantric only the difference is the
type of tantra marg used and yantra used, one technician take his instrument and make
a house, one blacksmith take his instrument and prepare a structure, same way one artist
through his brush make a beautiful portrait and a writer write a a poem through his pen,
like that every one is fully absorbs in creating something. So every one is drink a madya
(wine). And fully absorbs in completing his task. Every one has mans means mam ansh
(mine own part), every one like the matsya (fish) deeply absorbs in his sea of work. And
be in a joyous state that can be said a maithun what more suitable word for that., every
man has a woman in it and same way every woman has a main in that, and both are
trying to meet each other, and tantra also speak the same, but that can be surround by
instead of reservation to one sided pre defines baseless view. What this can be stands
for just deep hidden vasna and desire of searching something.. tantra is an explosion of
energy., and a moment of creation, the highest point of this explosion can be best
understand or define by the moment of physical unity of between man and woman ,
one who is a true tantric , does not require any woman()female) body, he himself
becomes the raj may and achieve the desired state ,and the woman herself become

Tantra kaumudi July 2011 15 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

virymay and reaches the height of expert of tantra. but to define the philosophy in this
way , for general masses maithun becomes the centre of attraction , most debatable
point. In the ancient there was no reservation about this but have a very healthy
thought, but what is offered in the name of tantra to modern times, is half backed and
incomplete one. What is a person true nature ,generally represent through his thought,
that s why so called knowledge, artists shows tantra means maithun in their writings.

Tantra , the root/basic nature of a person clearly explain and show the remedy of that.
tantra is not a very light subject, and it is not only limited meaning, tantra is not so easy
and a talk able subject amongst common man., but in modern times it is necessary to
again analysis the value of tantra and side by side the true bhav bhumi (feeling behind
that) so that a true healthy atmosphere about tantra again can be created newer chetna
(outlook with knowledge).again born/spread.

Through many andolan (marches) , publicity and through politics so many trial have
been done, now why not give a chance to tantra to again organized a society, why not
use this tantra instrument to again flourish ,each person life with completeness in full
senses. Since tantra is the only way in life which does not discard anything’s on the just
bases of ashlil or reject anything. This never condemn the bhog. But advocates a simple
acceptable , healthy outlook towards openness, and in place of any ill mentality
advocates the creation of positive healthy mentality, since tyag is difficult and earned
through much pain and person root nature is against to bhog. Tantra is not a synonyms
of bhog but proceed a person on the path of bhog with healthy way, with healthy
thinking and slowly move him on the direction where a naturally he find that he has no
interest/ inclination to bhog. Using panchmakar in the strict direction to his guru than
person quickly relies that this happiness stands no where the anand of param happiness,
if this generosity consider wrong than what is the wrong of the tantra .s this can be
easily understand by a common person

That why I am saying that panchmakar in tantra has not the same way as in for bhogi so
same way for yogis. since yogis has different chetna and bhav bhumi., and if any one not
able to have those bhav bhumi tantra not closes the door for them but open a another
way commonly known as Dakshin marg of tantra.

If the final aim /manjil is very clearer to us than its very clear that no chetna no gyan
stands in front of tantra, since tantra is the science of creation. Merely soulless updesh

Tantra kaumudi July 2011 16 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

and golden way of reaching nowhere, tantra is the very clear straight way. This is
another things is that this way is little bit rough and there is a danger that person get
hurt on every steps, but this road doesn’t end on a desert sea but on this road end a
complete sense of satisfaction waits for us. a sea full of shaktimayta, and a complete
process of fully absorbs in mother nature, and those one who fully be with one to mother
nature actually become a part of mother divine jagdamba, than how can he be low class
mentally having, that why a sea of compassion always flows in the heart of a true tantric.
Like a woman having the power of creation , and the same time have the mamatv /
vatsalymay towards his sons the same feeling the same way of seeing the same chetna a
true tantric has. And who is ability to create new circumstances he himself become
most compassionate, this is the joy of tantra, this is the height of tantra and I am standing
on this bhav bhumi saying that yes I am a tantric.

Tantra kaumudi July 2011 17 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

जीवन म कसी भी शुभ काय करना ह तो हम सभी कहते ह ही क ी गणेश कया


जाये, पर इतने कहने मा से तो बढ़ाये दू र नह हो जाएँगी , ि को दन ित दन के जीवन
म छोटी छोटी कई सम याओ का सामना करना ही पड़ता ह तो इनसे बचने के िलए एक अ यंत
ही लघु योग आपके सामने ह.

मं : ॐ गं ॐ

इसम आपके पास कोई भी गणपित ितमा या गणपित य होना चािहए कसी
भी काम हेतु फर चाहे वह छोटा या बड़ा हो , य द आप उपरो मं
का २१ बार मा उ ारण कर ले , फर घर से िनकले , या वह काय करने के िलए ,
आप अपने काय े से िनकले , आपके िजन काय म इतनी बढ़ाएं आती थी
वह कम होने लगेगी ओर आप सफलता के ओर यादा नजदीक ह गे . यह एक त य ज र यान
म रखे जब भी घर से बाहर जा रहे हो तब आप अपना दांयाँ पैर सबसे पहले घर से बाहर िनकले. यह

Tantra kaumudi July 2011 18 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

लघु योग आपके जीवन म सफलता के नए ार खोल देगा ..

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If we want to start any subh means positive work in our life we used to say that “ shree ganesh
kiya jaye” but to havemore chances of success one must follow the small prayog.

Mantra : om gam om .

Only ritual for this sadhana that when ever you have to go for any business meeting just 21

times narrates the above mentioned mantra, and you will amazed to see that what you have

done. But one things is very important that take 1s step from right leg when you come cout

of your home. And for this pryog you have to have a Bhagvaan ganpati statue or siddh
ganpati yantra ,

Tantra kaumudi July 2011 19 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

पंचमी माई ,जैसा नाम वैसे ही जीवन के प गुण यथा , ेम,ममता,क णा, ान और समपण के भावो से भरी यी.
उ राखंड से उनका ब त लगाव रहा है.यहाँ क पवत ृंखला पर ही उ ह ने सदगु देव के सािन य म अपने स य त
जीवन म िविवध िसि य को ह तगत कया है. एक बार १९९४ म वे जब सदगु देव से मुलाकात करने िभलाई नवरा ी
िशिवर म आई थी तभी मेरा भी सदगु देव क कृ पा से संपक आ था ,तभी सदगु देव ने मुझे ये कहा था क ये साबर
साधन म अ णी ह और इ होने मुझसे साबर साधना के सम त अ ात रह य को ा कया है और सफलता पूवक
उसका योगा मक प र ण भी कया है.

सदगु देव के आशीवाद तले िविवध साधना का अ यास सभी साधक साधना िशिवर म कया करते थे.१९८१ से
१९९८ का व णम काल साधक समाज के म य हमेशा मरण रहेगा. १९८६ और उसके बाद भी सदगु देव ने दो बार
साबर साधना िशिवर आयोिजत कये थे.िजसमे उ ह ने इस साधना के िविवध सू को साधक के म य रखा और िजसका
योग कर साधक ने आशातीत सफलता भी ा क . हालाँ क मेरी दी ा १९८८ म यी थी तो म उन रह य को १९८६
म तो ा कर ही नह पाया( ये वाभािवक भी था) पर तु इसक कचोट मेरे दय म हमेशा रही है. पर तु जब म साधना
के िलए सदगु देव के पास गु धाम म बाद म अलग अलग २ वष तक रहा तो यथा अवसर वे मेरी इस तं क िज ासा का

Tantra kaumudi July 2011 20 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

शमन अव य कया करते थे और उ ह ने ब त सरे रह य को अनावृत भी कया जो क साबर साधना म सफलता ाि


के िलए अिनवाय ही थे और मा उ साधक के पास ही सुरि त थे. उसी समय उ ह ने मुझे कहा था क “मेरी एक िश या
है ‘पंचमी माई’ उसे मने इस साधना के दु लभ सू दान कये ह,जब कभी तु हे इस िवषय को समझना क अिभलाषा हो
तो तुम उसके पास चले जाना”. बाद म १९९४ म मेरी उनसे मुलाकात हो ही गयी,सदगु देव के आदेश देने पर उ ह ने
िवषय को समझाना वीकार कर िलया.

समय समय पर म उनसे संपक करता और इस िवषय को समझता भी रहा तथा बाद म इस िव ा का गोरखपुर और अ य
पीठो म अ यास भी कया तथा उन थान के योिगय से भी ब त से साबर म को ा कया ,मु य बात हमेशा ये रही
क वे सभी सदगु देव को ब त ही आदर दया करते थे और उनके ि व को अलंघनीय और अक पनीय मानते
थे.सदगु देव के महा याण के बाद १९९९ के दसंबर म एक बार म १९८५ के आस पास क पि का का अ यन कर रहा
था,तभी उसमे दी गयी एक साधना के ऊपर मेरा यान गया,िजसका शीषक था’वह साबर मं जो मने भगवन शंकर से ा
कया’ उसमे एक ब त ही अ भुत म दया आ था पर तु साथ ही साथ ये भी िलखा आ था क इस मं म कु छ गु
मु ा और कसी खास प ित का योग होता है तभी सफलता ा होती है. अब मेरी उ सुकता इस मं को लेकर इतनी
यादा हो गयी थी क म इसक स पूण या को येन-के न ा करना ही चाहता था. मने कई व र गु भाइय से भी
संपक कया पर कोई भी संतोषजनक उ र कही से नह िमला या फर वे अनिभ थे इस या से.

तब मेरे मन म माई से िमलने का िवचार आया और थोड़े दन बाद जब वे पचमढ़ी आई तो उ ह ने मुझे वह बुलवा िलया.
वही पर उ ह ने मेरी सभी शंका का समाधान कया और उस या को स माण दखा कर समझाया भी.

साबर साधना म सफलता के िविभ सू जो मुझे परम पू य सदगु देव और माई से ा ए ह वो म आप सभी के
लाभाथ यहाँ पर दे रहा ,ँ और आशा करता ँ क आप सभी को िन य ही इससे पूण लाभ होगा और िवषय को आ मसात
करने म सहयोग भी िमलेगा.

१. साबर म को िस करने के िलए गु ारा िनदिशत प ित और दवस का आ य लेना चािहए ,जहाँ पर प ित और


दवस का वणन न हो वहाँ पर कोई भी हण,होली, नवरा ी,दीवाली क राि या रिववार,मंगलवार या शु वार का
योग कया जा सकता है . थान के प म िस पीठ , नदी या सरोवर का कनारा,पवत िशखर ,कोई िस मं दर या फर
एकांत क का भी योग कही यादा उिचत होता है.

२.लोहबान धूप का योग साधनाकाल म कया जाना अिधक उिचत है .

३.साधना थल पूण पेण व छ होना चािहए य द गाय के गोबर से लीप कर चौका बनाया जाये तो यादा उिचत रहता
है.

४.गु ,म और देवता के ित पूण समपण और ृ ा होना आव यक गुण है.

५.साबर साधना म भी पिव ता का मह वपूण योगदान होता है और ये पिव ता शारी रक के साथ साथ
मानिसक, थािनक और भोजन से स बंिधत होती है,इसम ढील क कोई गु जाियश नह रहती है.साबर साधना म
वातावरण क उपयोिगता को नकारा नह जा सकता.अनुकूल वातावरण म ये मं शी ही सफलता दान करते ह.

६.मानिसक,दृ ि क,शारी रक, प शक चय का योग यथा संभव साधक को साधना काल म करना ही चािहए. या लाभ

Tantra kaumudi July 2011 21 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

य द साधक शरीर से तो चय का पालन करे पर तु,िवचार और दृ ि से वो कामुक चतन करता रहे .

७.एका ता अिनवाय त व है.एका मन से कये गए म शी ही सफलता दान करते ह.

८. येक वष उस िवशेष ितिथ पर िजसपर आपने उस म को िस कया था,पुनः मं को जप कर ले ता क म क


शि सु ना हो पाए.जप के बाद म क कम से कम १०८ आ ित भी डाल दे.

९.य द आसन िन द ना हो तो,क बल का आसन योग करे.माला मूंगे क या ा क योग क जाती है. साबर िसि
माला या गोरख माला का योग अिधक उिचत है.मं जैसा दया गया है वैसे ही जप करे ,अपने आप उसमे कोई सुधार न
कर. िन द जप सं या म ही जप करे उससे कम नह .तेल के दीपक का योग अिधक उिचत होता है.

१०.साधना के म य म आसन का याग न करे.

११.य द िन द ना हो तो हवन के िलए घी,गु गुल और सामा य हवन साम ी का योग करे,मुि लम साबर मं ो के िलए
लोहबान क आ ितयाँ योग होती ह.साबर मं साधना म वसोधारा क जगह नीबू को मं पढकर काटकर हवन अि म
िनचोड़ा जाता है. और नीबू क बिल भी दी जाती है.

१२.गणपित पूजन ,भैरव पूजन अिनवाय कम है.इसे येक साधना के पूव अव य करे.’रं’ बीज का प पा म रखे ए जल
पर १०८ बार उ ारण करे और उस जल को –

व ोधाय महादंताय दश दशो बंध बंध ँ फट् वाहा .

साबर साधना म यूँ तो सफलता ा करने के कई गोपनीय उपाय साधक के म य चिलत है पर तु यहाँ पर हम गृह थ
साधक कन या का योग कर िनि त िसि पा सकते ह उन ५ गूढ़ िस म िवधान को म प कर रहा .ँ

1. भै रव उ थापन या
साधना के एक दन पहले राि काल म भैरव उ थापन या का योग अव य कर लेना चािहए. वैसे तो ये कई प ितय से
क जाती है और कई िविभ म से भी पर तु िनरापद म के िलए एक भोजप पर कु मकु म से मं को िलख कर उसे
िम ान (खीर,हलवा) पीपल के सात प ,े तीन ल ग,एक इलायची के साथ एक िमटटी के कोरे पा म थािपत कर दे और
उस पा को अपने सामने एक उ वमुखी कु मकु म से बने ए ि कोण म थािपत कर ले.मुख पूव या उ र क ओर होगा.
गु का पूण पूजन करने के प ात ( यादा उिचत होगा क साधना काल म तं ो गु पूजन पु तक म दए गए साबर गु
पूजन का योग करे.त प ात दंड मु ा और ोध मु ा का दशन कर वयं क नािभ पर यान क त कर अपनी जप
माला से ५ माला िन मं क करे.

ॐ सवाथ सािधनी वाहा

इसके बाद १ माला िन म क करे-

Tantra kaumudi July 2011 22 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

ॐ ं ं ं ं ं ं ं ं फट

उसी रात को सम त साम ी को लेजाकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दे और भगवान भैरव से साधना म सफलता क ाथना
करे .दु सरे दन कसी छोटी क या को माँ असावरी का प मानकर िम ान और दि णा देकर तृ कर और आशीवाद ले.इस
कार भैरव उ थापन या संप होती है.

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2.साबर सुमे मं

िजस कार तां ो म क िसि के िलए तं साफ य मं का योग साधना के ारंभ म होता है,वैसे ही साबर सुमे
मं को िस कर येक साबर साधना म जप के पहले इस मं का जप कया जाता है इसके बाद ही सा य मं का जप
उिचत है.

गु सठ गु सठ गु ह वीर,गु ह वीर,गु साहब सुमर बड़ी भांत. सगी टोरो बन कहाँ,मन नाऊँ करतार.सकल गु क हर
भजे,घटता पाकर उठ जाग,चेत स हार ी परमहंस.

इस मं का पहले ११ माला जप कर वयं के िलए िस कर लेना चािहए,हाँ पिव ता के साथ ही इस म को िस करना


चािहए.साबर म म ये सुमे म कहलाता है.और ये जीवन के येक े म सफलता दान करने वाला मं है.

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3. दो िविश साधना साम ी


वैसे तो साबर साधना म सफलता के िलए ाकृ ितक सामि य का ही योग कया जाता है या ये कहे क ाकृ ितक
सामि य को ही आधार मानकर उन पर स बंिधत मं का जप कर िस कर िलया जाता है ,पर तु वतमान म वो
वन पितयां और सामि यां सहजता से उपल ध नह होती ह.जैसे मीन मु म वभािवक प से गु म ये नाथ जी का
वास होता है , बांस मु क या बंश लोचन म गु किनफा नाथ का वास होता है,इसी कार कई ऐसी वन पितयां और
सामि यां होती है िजनमे इन नवनाथ और ८४ िस का वास होता है और िज ह तीक प म य द योग कया जाये तो
इन अिध ाता इन नाथ से स बंिधत तं क िसि अिधक सहजता से हो जाती है िजसके ारा कुं डिलनी जागरण ,कृ या
साधन,परकाया वेश, अ ादश िसि याँ,गु य ीकरण ,अ सरा िसि आ द असंभव काय भी संभव कये जा सकते ह.ये
सभी भी साबर म से संभव है. क तु यहाँ म उन सामि य का िववरण देना उिचत नह समझता ँ उसका सबसे बड़ा
कारण है उन जीव या वन पितय का अ पमा ा म होना,य द लोगो को जानकारी हो जाये क इस वन पित या जीव के
ारा ये साबर तं िस कया जा सकता है तो,लोग उ ह समा ायः ही कर दगे.पर तु ये सभी लाभ २ िविश साधना
साम ी के ारा १००% िलए जा सकते ह.

साबर िसि महा य

Tantra kaumudi July 2011 23 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

साबर िसि दायक महा िस नव नाथ पारद गु टका

िजन लोगो ने भी साबर िसि महायं के बारे म पढ़ा होगा ,उ ह पता होगा क उसमे ये िलखा गया था क सदगु देव ने
अपनी असीम क णा के वशीभूत होकर इतना मह वपूण य हमारे सामने रखा है,िजसके ारा कसी भी साबर साधना म
िनि त सफलता पायी जा सकती है.और भिव य म ना जाने वो इस य पर कै से कै से योग दे दे.

इसी कार साबर गु टका नवनाथ म से अनु ािणत और चैत य होती है तथा उसका िवशेष म से अिभिशि चितकरण
भी आ होता है िजसके भाव से वो ऐसे ब त से लाभ आपको दान करती है जो क पना तीत है.उस गु टका क िनमाण
िविध और उसपर कये जाने वाले ३ योग इसी अंक म दए गए है

 साबर गु य ीकरण साधना

 साबर कुं डिलनी जागरण साधना

 साबर य ग धव िसि साधना

ये सभी साधनाएं पहली बार ही कसी भी कताब या पि का म आ रही ह,म आभारी ँ पंचमी माई का और म मा यही
कह सकता ँ क सदगु देव द ान क ृंखलाए इतनी िव तृत है क िजसक क पना भी नह क जा सकती है.खैर इस
गु टका और य को सामने रख कर १ माला िन मं क अव य ही कर लेना चािहए.सदगु देव ने बताया था क वैसे तो
६२ याएँ करनी पड़ती है साबर साधना म सफलता के िलए.पर तु उनका योग और ान सभी के िलए सहज नह
है.(इसी कारण उन या को यहाँ नह दया जा रहा है)इसिलए य द साधक वो सब ना करके इन पांच या का ही
योग यथानुसार कर ले तो उसक सफलता िनि त हो जाती है. वो म है-

ॐ आ द नाथ योित प बस तुम जािन,सकल पदाथ तुम् बसे ,बसी जगद बा साथ तोहारे,नीली योित प
तु हारा,कारज पूरा आतम शि का ,आशीष सकल गु शि का.

इसके बाद वो गु टका आपके िलए साधना म यु क जा सकती है.इसके साथ उस अ भुत महायं क थापना तो साधक
का महा सौभा य ही होता है.िजसके बाद साबर साधना म सफलता के ार उसके िलए खुल जाते ह.

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4. अिभक लन या

इस या को अिभक लन या कहते ह ये हाथ पूवक साबर शि के बंधन क या है.इसम


भगवान िशव क अमृते री शि का योग कया जाता है ता क स बंिधत साबर साधना आपको ना िसफ पूण िस होती
है अिपतु उसका फलदायक अमृत भाव आपको आज म ा हो तथा प रवार को भी अमृत त व क ाि होकर पूण
आरो य और सौभा य क ाि होती रहे.इस या से वो साम ी और मं पूरी तरह चैत य और भावकारी,शुभ दायक हो
जाती है.

साधना वाले दन ातः काल ान कर सभी सामि य को ेत व म बाँध(वैसे िजस व के बारे म स बंिधत साधना म

Tantra kaumudi July 2011 24 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

िववरण हो ,उसी रंग के व म वो सामि यां बांधनी चािहए,और बाद म उसी व को बाजोट पर िबछाया जाता है) कर
बाजोट के ऊपर उ वमुखी ि कोण जो क ेत च दन और कु मकु म िमलकर बनाया गया हो.के ऊपर थािपत कर
दे,सामि य को बाँधने के पहले उसे भली भांित ान कराकर पोछ कर बंधे साथ म.उसी समय अपना संक प कसी कोरे
कागज पर पर कु मकु म क याही से िलख कर बाजोट के आगे वाले दािहने पाए के नीचे दबा दे,(ये पच तब तक दबी रहेगी
जब तक क साधना पूरी न हो जाये.बाद म उस कागज को साम ी के साथ िवस जत कर दे.) जब सभी साम ी को आप
बाजोट पर बाँध कर रख दे और पच को भी आप बताये अनुसार थािपत कर दे तब व नािभ पर यान क त करते ए १
घंटे तक िन मं का जप करे,ये म अ भुत चम कारी मं है जो आपक साधना को आपके िलए पूण भावकारी बना
देता है-

ॐ मृ यु जये भगवित चैत यच े हंससंजीविन वाहा.

इस मं को य द िवशेष तरीके से योग कया जाये और इसके साथ महामृ युंजय मं का योग कया जाये तो साधक के
प रवार को भी अकालमृ यु के भय से मुि िमल जाती है.

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5, असावरी देवी मं िवधान


य द आपने पहली ४ या के बगैर कोई साबर साधना क हो पर तु आप उस साधना को कई बार कर चुके हो तब इस
साधना को करने के बाद ही दु बारा अपनी साधना को करे िन य ही आपको सफलता क ाि होगी,ये या तो कसी
थ म हो सकती है पर इससे स बंिधत मं सव थम बार सदगु देव क कृ पा से आप सभी के सामने आया है.

रिववार को रात म असावरी देवी क पूण पूजा करके कांसे क थाली को रख से मांज ले

और येक हर के ारंभ म इस मं को उस थाली म कु मकु म से िलख कर उसे सामने रख कर -

ॐ असावरी असावरी पूरण करो हमारी कामना,िसि दीजो,रिखयो लाज,असावरी मैया क दु हाई.

इस म का २१ बार जप करे और जो मं आप िस करना चाहते ह उसे १०८ बार करे चौथे हर म जप के बाद ‘हे म
देवी जा त हो,िसि दे’कहकर खैर क लकड़ी से उस थाली को बजाये.िन य ही इससे म जा त होकर सफलता देता ही
है.

उपरो याएँ आपको आपक वांिछत सफलता अव य ही दान करेगी,ऐसी ही म सदगु देव से ाथना करता .ँ ये
याएँ अभी तक अ ात थी,मुझे आज अपने सभी गु भाई बहन के साथ इस ान को बांटने म ब त आन द आ रहा
है.आप सभी इसका लाभ उठाये और जीवन को गौरवाि वत करे.

Tantra kaumudi July 2011 25 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

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Sabar sadhna me safalta prapti ke durlabh sutra

The name like Panchami Maai full of love, affection, kindliness, knowledge and
devotion. Uttarakhand place was always been closed to her heart. On the mountain
ranges of uttarakhand only she had been accomplished various siddhis by sadgurudev
in her sanyast life. In 1994 when she came to Bhilai in Sadgurudev’s Navratri Shivir, at
the same time with Sadgurudev’s blessing I was also introduced to her. Same time
sadgurudev told me that she is advanced in Sabar Sadhnas and learned all the secret
knowledge and successfully attempted training and experimented it.

With blessings of sadgurudev allSadhak used to study various types of sadhnas in


shivirs. The time between 1981 to 1998 would always be memorised as golden time. In
which he put forth different facts of this sadhna for two times infrnt of us and
practically didit for our understanding. And we got expected results also.Although my
Diksha was done in 1988.So obviously i didnt get those secrets in 1986. But
gallingfeeling always remained in my mind. But whenever i used to ask for sadhna
toSadgurudev in Gurudham for two diffenrent years and every possible time he
calmdown my curiousity abt this tantra. And opened various secrets of Sabar
Sadhnaswhich was essential to get success in it which are lying in safe hands of
highelevel of sadhaks.

At the same time he told me that oneof my disciple ‘Panchami Mai’ to whom i have given
secrets facts of thissadhnas. whenever u feel like learning these facts visit her she will
tell you.Thereafter finally i met her in 1994..Due to Sadgurudev’s permission she agreed
to make me understand this subject.

Time by time I contacted her and learned this subject from her, then practiced it in
Gorakhpur and various peethas. Even got other useful facts from the local yogis of that
places too. Very importantly they always respected Sadgurudevji and accepted his
personality as indefinite and unimaginable. After invasion of Sadgurudev in
December,1999 I was reading the magazine of 1985 suddenly I noticed one sadhna
whose title was ‘wo sabar mantra jo maine bhagvan Shankar s prapt kiya’ I mean the
sabar mantra which I got from God Shiva.. wonderful mantra was given but along with
that one have to use some special signs and special procedure is used via which
success can be achieved.

Now i was becoming very curiousabout this mantra as by any way i eagerly wanted the
whole procedure of thissadhna. I asked to every possble guru brother about this

Tantra kaumudi July 2011 26 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

sadhna, but they were unawareabout this sadhna.

Then meeting to Mai thought came tomy mind and few days later when she arrived
Pachmadi, shecalled me at herplace. There she resolved my each query and shown
practically.

Various facts of sabar sadhnas whichi got from sadgurudev and mai are being
displayed here to you for your benifit.And i hope each one will take complete benifit of it
and would embibe itproperly.

1. For accomplishing sabar mantrasone should follow the instructed way and day from guru,

Wherever the day andprocedure is unavailable then any eclipse, holi, navratri, Diwali night

timeand sunday, tuesday and friday must be undertaken. For place, any siddha peeth,bank of

river, mountain peak, any siddha temple or peaceful room would alsoserve best purpose in such
case.

2. Use of Lohban dhup would beappropriate while sadhna period.

3. Sadhna place should be veryclean, if possible then smear it by cowdung would be more
benifitted.

4. Most importantly one shouldhave full devotion and dedication toward Guru, mantra and god for
whom thesadhna has been pursued.

5. In sabar sadhnas the clealinessplays an important role and along with the physical piousness it

is alsorelated with the mentality, place and food. No excuse is accepted. In sabarsadhnas u cant
ignore the environment. In favourable environment they can besiddh easily.

6. In sadhna period one shouldmaintain the mental, visual, physical, touchable celibacy. There is

no point ifhe maintains it externally but intarnally sinked with sexual thoughts.. So betternot to do

it....ok..

7. Concentration is key factor.The mantras attempted with full concentrated mindcan be

achievedshortly.

8. Every year on that special dateu must chant the same mantra which u siddh, chant it again so

Tantra kaumudi July 2011 27 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

that power ofthat mantra remain as it is with u.Thereafter do oblation for 108 times.

9. If lack of asan then useblanket as asan. Roasary should be of coral or rudraksh. Sabar siddhi

Mala orGorakh Malas are highly suggested. Do Mantra as it is given. Dont make changesby your
own..ok.. Follow the exact time directed for Jap count nor less. Lampshould be lighted by oil.

10. Between sadhna period don’t sacrifice asana.

11. If not directed the for havan take butter, Guggul and general things of havan which are

normally been use. formuslim sabar mantra oblation of lohban is used. In sabar Mantra

sadhnainstead of Vasodhara( butter flow used inhavan) the lemon has been used and squized.
Here lemon is sacrificed in havan.

12. The worship of Ganapati andBhairav is must. It should be done before performing sadhna.

‘Ram’ beej shouldbe chanted for 108 times on panch patra water.

Vajra Krodhay Mahadantay dashdisho bandh bandh hum phat swaha.

By the way there are various ways of achieving success in sabar sadhnas are famous. But here

we are providing such ways for those household married persons can do this easily and achieve

the success. Those 5 secret ways are explained below:

1. Bhairav Uthhapan process

One day before Sadhna, one should do Bhairav Uthhapan

process. As various ways and series are their to perform but for safety take one plate and write

the mantra by kum kum and offer with sweets, then take seven leaves of peepal fig tree, 3

cloves, 1 cardomom and place it in mud pot. Establish it before with kumkum and make triangle
on it facing in upward direction. Face towards east or north.

After doing Guru pujan( would bebetter if u do sabar guru pujan mentioned in tantraukt guru

Tantra kaumudi July 2011 28 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

pujan book) Thenwith Dand Mudra and Krodh Mudra touch yournaveland concentrate and chant
5 malas of below mantra-

Om Sarvarthsadhini swaha

Then chant 1 mala of following mantra –

Om Bhram Bhram Bhram Bhram Bhram Bhram Bhram phat.

In same night gather all the havanthings and keep it down at fig tree. And pray to God Bharav for

accomplishmentof sadhna. On second day offer some sweet and dakshina to any small girltrating
her as Maa Asavari form and take blesings of her.In this way BhairavUthhapan process gets
completed.

************************************************************

2. Sabar Sumeru Mantra

The wayTantraukt safalya mantra is used for Tantraukt Mantra siddhi, similarly sabar sumeru
mantra is been used before Jap thenonly the sadhya mantra jap isappropriate.s

Guru sath guru sath guru hai veer, guru hai veer, guru sahib sumerau badi bhant.singi toro ban

kaha,man nau kartar.sakal guru hi har bhaje, ghatata pakar uth jag, chet samhar shree
paramhans.

First chant 11 malas and siddh it for yourself with piousness. In sabar mantra it has been called
as sabar sumeru mantra. And it gives success in each aspect of life.

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3. Need of two vishsisht Sadhana Articles

Tantra kaumudi July 2011 29 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Well for achieving success insabar sadhnas all natural

things are used or in other words that is base andthe mantra based on it are firstly get siddh. But

in present situation thenatural herbs and natuaral things for havan are not easily availabe . Like

inMeen Mukta the Guru Matsyendranath ji are naturally resides., Bans muktak orBansh Lochan

contains Guru Hanifa Nath, similarly various tupes of herbs andthings are there in which all

Navnaths and 84 siddhhs are resided. and in formof symbol if we used the related things then

they will easily helps us andbless us with success in related Tantra. Via which Kundalini Jagran,

KrutyaSadhna, Parkaya Pravesh, Ashtadash Sidhhies, Guru Pratyakshikaran, ApsaraSiddhies,

etc sadhnas are possible.All these are possibe by sabar mantra. Buthere i dnt feel right to explain

or give u those details. Big reason behind itis scarcity of those herbs. As when it will come in light

people will try toget that herb or thing from which the sabar tantra is siddhh. in this way itwill finish
Well all these can be done by two special Sadhna things with hndredpercent.

 Sabar Siddhi Mahayantra

 sabar Siddhi Pradayak Maha Siddh Navnath Parad Gutika

Whomsoever read about the Sabarsiddhi Mahayantra would be very much aware that

sadgurudev with his kindnesshave given so important yantra for us.via which any sabar sadhna

can beperformed and success and dont know in future how many more sadhnas would
comebefore us.

In the same way the sabar gutika is inspiredand awakened by Navnath Mantras. and by special way it has
been whichinfluences and gives these types of benifits which are beyond imaginations. Theproduction
procedure and three experiments which can be done on it are given inthis article only.

*******************************************

They are :-

 Sabar Guru Pratyakshikaran sadhna

Tantra kaumudi July 2011 30 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

 Sabar Kundalini Jagran sadhna

 sabar Yaksh Gandharva Siddhi sadhna

All these sadhnas are being given for the firsttime in any book or magzine.I m thankful to
Panchami Maiand i can say only thismuch that the knowdge series given by Sadgurudev is
so vast that we can evenimagine.Well before this gutika and yantra do 1 mala following
mantradefinitely. Sadgurudev told that normally you have to do 62 activities forsuccess in
sabar sadhnas but its not easy for everyone.(Thts d reason it hasnot been mention here)
Therefore sadhak nor doing those just performing these 5 process success is sure. The
mantra is :-

Om Aadi nath jyoti rup baso tum jaani, sakalpadarth tum base, basi jagdamba saath
tohre, neeli jyoti rup tumhara, karajpoora atam shakti ka, aashish sakal guru shakti ka.

After this the gutika can be usein sadhna.Then establishing that wonderful Mahayantra is the

prime fortune forany sadhak.and this how the doors are opened for him in sabar sadhnas.

*** ********************************************************************

4. Abhikilan proces

This process is known asAbhikilan proces. This is Hath Purvak sabar shakti

controlling process.In thisthe Amruteshvari Power of God shiv is used so that related sabar

sadhna notonly gives siddhi but also provides all fruits forever to and your family andcomplete

gud health and gud fortune in whole life.Due this process the thingsand mantra become awaken
and influcing and fruitful in all senses.

On sadhna day morning take shower and tie knotof all sadhan
samagris in white color cloth ( whatever color mentioned inrelated sadhna only that
should be used and then place it on stool.) now draw atriangle upward facing on that
white cloth which should be made up of Shvetchandan and kumkum. Establish it. Before

Tantra kaumudi July 2011 31 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

tieing knot clean each n every samagriproperly. simultaneously write your wish on blank
paper by kum kum and place itat front sided left leg of stul.( this should be placed under
stul’s leg tillthe time sadhna doesn’t get over.afterward with all other thing this alsoshould
be consigned in river) after all this just concentrate on your navel andchant the following
mantra for 1 hr.this is astonishing mantra which will bevery useful for u in sadhna. :-

Om Shreem Hreem Mrityunjaye bhagvati chaitanya chandre hanssanjeevani swaha.

If this mantra is used in somespecial way along with Mahamrityunjay mantra then any member of
sadhak cannotbe face Akal Mrityu.

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5. Asavari Devi Mantra Vidhan

IF YOU HAVE DONE ANY ACTIVITYBEFORE PERFORMING THE ABOVE 4 BUT HAVE
PERFORMED MANY TIMES THEN DO THIS SADHNAFIRST AND THEN PERFORM THE MENTION
SADHNA..SURELY U LL GET SUCCESS. THISPROCESS WOULD HAVE BEEN MENTIONED INA ANY
BOOK BUT RELATED MANTRA HAS BEENPUBLISHED FOR THE FIRST TIME WITH BLESSINGS OF
SADGURUDEV.

On Sunday night do worship of Asavari Devi and plsce her in Kansa plate.And at starting of
each prahar write this mantra on that plate with kum kum.

Om Asavari Asavari Puran karo hamari kamna, siddhi deejo, rakhiyo laaj, asawari maiyya
ki duhai.

Now do it for 21 times and the mantra which you want to siddh need to done for 108
times.After forth prahar after Jap say‘He mantra Devi jagrat ho, siddhi de’ and make
sound on the plate by acacia stem .Definitely by this mantra will get awaken and gives u
success.

All above process gives u success, the same I pray to sadgurudev. All these process wer
kept secretful . well I m feeling great to share this information with my co guru bros and
sis. May all take benefits and make their lives prosperous.

Tantra kaumudi July 2011 32 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

कई बार ि क समृि अचानक हो जाती है,सारे बने बनाये काय िबगड जाते है,जीवन क सारी खुिशया नाराज सी
लगती ह,िजस भी काम म हाथ डालो असफलता ही हाथ लगती है.घर का कोई सद य जब चाहे तब घर से भाग जाता है,या
हमेशा गुमसुम सा पागल सा वहार करता हो,तब ये योग जीवन क िविभ सम या का न िसफ समाधान करता है
अिपतु पूरी तरह उ ह न ही कर देता और आने वाले पूरे जीवन म भी आपको सप रवार तं बाधा और थान दोष , दशा
दोष से मु कर अभय ही दे देता ह.

इस मं को य द पूण िविध पूवक गु पूजन संप कर ११०० क सं या म जप कर िस कर िलया जाये तो साधक को ये


मं उसक ती ण साधना म भी सुर ा दान करता है और या ा म चोरी आ द घटना से भी बचाता है.मं को िस
करने के बाद िजस भी मकान या दु कान म उपरो बाधाएं आ रही हो, कसी ेत का वास हो गया हो या अ ात कारण से
बाधाएँ आ रही हो,उस मकान म बाहर के दरवाजे से लेकर अंदर तक कु ल िजतने दरवाजे हो उतनी ही छोटी नागफनी क ल
और एक मु ी काली उडद ले ले.इसके बाद मकान के बाहर आकर येक क ल पर ५ बार मं पढ़ कर फूँ क मारे और उडद
को भी फूँ क मार कर अिभमंि त कर ले,िजतनी क लो को आप अिभमंि त करगे उतनी बार उडद पर भी फूँ क मारनी
होगी.अब इस साम ी को लेकर उस मकान म वेश करे और मन ही मन म जप करते रहे.आिखरी कमरे म वेश कर ४-५
दाने उडद के िबखेर दे और और उस कमरे से बाहर आकर उस कमरे क दरवाजे क चौखट पर क ल ठोक दे.यही या
येक कमर म करे. और आिखर म बाहर िनकल कर मु य दरवाजे को भी क िलत कर दे.इस योग से खोयी खुिशयाँ
वािपस आती ही है. ये मेरा वयं का कई बार परखा आ योग है.

म -

Tantra kaumudi July 2011 33 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

ॐ नमो आदेश गु न को ई र वाचा,अजरी-बजरी बाड़ा ब री म ब री बाँधा दशौ दु वार छवा ,और के घाल तो पलट
हनुमंत वीर उसी को मारे,पहली चौक गणपती,दू जी चौक हनुमंत,तीजी चौक म भैर ,चौथी चौक देत र ा करन को आव
ी नर सह देव जी, श द साँचा,िप ड काँचा,चले म ई रो वाचा.

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SARV BAADHA VINASHAK SABAR SADHNA

Some time we see that each and every happiness gets over from life, every attempt of success

meets with failure, family life gets upsets, any person of family doing what he or she wants to do,

leaving family without any reason then this mantra not only brings back not only happiness and

prosperity but also remove the problems of Sthaan Dosh, Disha Dosh and make them permanent
prosperous.

If one get sidh this mantra by moving rosary 1100 times then it protects the person from his

deadly problems, secure him and his belongings during journey but to get all this done firstly one

should do Guru Poojan. After getting mantra sidh in which house or shop mishappenings are

occurring, some ill powers are residing there then from the main gate of that place to the every

internal or external gate count them and take equal quantity of SMALL NAAGFANI NAILS(keel)

and a handful of Black Odaad cereal( daal) . After that come out from the house and enchant 5

times mantra on every nail (keel) and blow mouth air (phoonk maarna) on it and cereal (daal).

Each time when you will enchant mantra on nail equally you should do the same with the cereal

now having these things in the hand entered into the house but internally keep on enchanting

mantra japp. Finally while entering in the last room of the house spread some cereal(daal) and

then come out from the room and mark the nail on the slit of door( ek keel drwaze ki chokhath per

thook do). Follow the same procedure at each and every door then finally on main gate. This is my
personal recognized practical.

MANTRA-

OM NAMO AADESH GURU KO ISHWAR VACHA,AJRI-BAJRI BADHAA BAJJRI BAANDHAA

DASHAU DUWAR CHHAWA,AUR KE GHALON TO PALAT HANUMANT VEER USI KO

Tantra kaumudi July 2011 34 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

MAARE,PAHLI CHOWKI GANPATI,DOOJI CHOWKI HANUMANT, TEEJI CHOWKI MEIN

BHAIRO, CHOUTHI CHOWKI DET RAKSHA KARAN KO AAWE SHRI NARSINH DEV JI,
SHABAD SANCHA, PIND KAANCHA, CHALE MANTRA ISHWARO VACHA.

Tantra kaumudi July 2011 35 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

साधक जीवन का सव प र सुख और आनंद जो है,वो एक मा गु क सायु यता ही है,गु के चरण म बैठना,उनसे सतत
ान क ाि करना,उनके मधुर साहचय म जीवन के अभावो क तपती दोपहरी से बच कर बैठने क या समझना.पर
या ये इतना सहज है,नह ना.........................

और जब गु ने वधाम गमन कर िलया हो तब तो िच क अशांित इतनी भयावह हो जाती है क उस अंिधयारे म कोई


राह नह दखती है,तब साबर साधनाओ का ये अ यिधक गोपनीय मं उस पूणमासी के चाँद के प म आपको काश तक
प चता है.य द पूण िवधान से इसे शु ल प क चतुदशी और पू णमा को संप कया जाये तो साधक को उसके िब बा मक
गु के दशन और दशा िनदशन सतत िमलता ही रहता है.ये योग िसफ पढ़ने के िलए नह अिपतु करकर देखने के िलए
है.इससे आभास नह होता बि क उसे पूण तेज वी िब ब के दशन होते ही ह और यही नह बि क उसे गु के ारा भिव य म
जीवन के िलए उपयोगी िनदश भी ा होते रहते ह.

िनदिशत दवस क रा ी के दू सरे हर म पूण ान कर ेत व धारण कर छत पर सफ़े द उनी आसन पर उ रािभमुख


होकर बैठ जाये.सामने बाजोट पर गु का िच थािपत हो उनका पूण िविध िवधान से पूजन करे,सुगि धत धुप का और
पु प का योग कया जाये,उसी कार महािस गु टका को भी िच के सम अ त क ढेरी पर थािपत कर पूजन
करे,घृत दीपक का योग करे.खीर का भोग चढ़ाये,और ि थर िच होकर ि कू ट पर यान लगाकर िन म का ४ घंटे तक

Tantra kaumudi July 2011 36 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

जप करे. जैसे जैसे आपक त लीनता बढते जायेगी,आपके आ ा च पर एक सुनहरी-नीली योित कट होने लग जायेगी
और अंत म आपके गु का पूण तेज वी िब ब वहाँ य हो जायेगा और आपके कानो म उनक पूण आवाज भी सुनाई देने
लगेगी,आप जो भी पूण कृ त ता के साथ अपने दय म लायगे,उनका उ र आपको कानो म सुनाई देने लगेगा,पर तु ये
आपके जीवन येय और साधना से स बंिधत ही होने चािहए.और य द आपने यही म पू णमा को भी एका ता पूवक
संप कर िलया तो जब भी आप अपनी साधना म बैठोगे उनका पूण वरदह त आपके शीश पर ही होगा. उ को ट के
साधक इसी मं से ि कू ट के बजाय अपने सामने गु को आवािहत करने म सफल होते ही ह.

म - आ द योित, प कार,आनंद का है गु वैपार,नीली योित,सुनहरा प,तेरो भेष न जाने कोय,अनगद भेष बदलतो
प,तू अिवनाशी जानत न कोय,शू य म तू िवराजत,तेरो चाकर िब णु महेश. करपा दे,कर तू उपकार,जीवन नैया कर
बेडा पार.जय जय जय सतगु क दु हाई.

==============================

SABAR GURU PARTYAKSH SADHNA

The most blissful moment for saadhak’s life are that in which he spend time with his guru while

sitting at his feet and getting the lessons that how he can protect himself from the drastic ups and
down of life but this is not as easy as it sounds……..

But it becomes most dreadful fact of life and cause pain if guru has proceeded to his final

destination. But if this mantra of Sabar sadhnas can be enchant on the Shukl Pksh ki Chtudrshi

aur on Poornima by following all the rules and regulations then sadhak can have not only the

glimpse of his guru but also get direction and guideline from him. This practical is not merely to

listen but authentic and by doing this one can have direct orders and guidelines from his guru not

only for present but for future as well. Sadhak that are on high level in sadhnas field successfully
call their guru himself at place of Trikutt.

Aadi jyoti,roop omkaar,aanand ka hai guru vaipaar,neelee jyoti,sunhara roop,tero bhesh na jaane

koy,angad bhesh badalto roop,tu avinaashi jaanat naa koy,shunya me tu viraajat,tero chaakar

bramha bishnu mahesh.kirpa de,kar tu upkaar,jeevan naiya kar bedaa paar,jai jai jai satguru ki
duhaai.

Tantra kaumudi July 2011 37 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

य द उपरो म से पू णमा क ातः पूजन कर िन मं का ि कू ट पर यान लगाकर ३ घंटे िन य मु त म जप कया


जाये तो कु डिलनी म ती पंदन होने लगता है और ज म ज म से सु कुं डिलनी जा त होने लगती है. इस या को १४
दन तक करना पड़ता है इसम अलग अलग च क साधना नह करनी पड़ती अिपतु ये स पूण म वतः ही पूरा कर लेती
है.इस या के साथ आपको मूल बंध,और ि बंध का अ यास करना चािहए.आसन िस ासन होगा या प ासन तो ती
भाव होता है.

म - सात लोक को सात जगत,सात बरन को सात शरीर,सात फू ल म खेले योित,काहे होवत नीर अधीर. फुं कार मारत जे
डोलत है ,सात फन को जे करीर.उलटत फे रा बंधे ह जो,खेलत मु कावत खोले गु बीर.जय जय जय सतगु क दु हाई.

-----------------------------------------------------------------------------------------

KUNDALINI CHAKRA JAAGRAN SABAR SAADHNA

If by following the above given rules on the morning hour (bhram mhurat) of Poornima one does the
following mantra japp for 3 hours daily by concentrating on Trikutt then one can feel the hard and fast

Tantra kaumudi July 2011 38 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

changes on kundlini and it get enlighten from age long sleep. One should follow this procedure for 14 days
and need not to do the different sadhnas for different chakra as it will itself complete the circle of every
chakra. With this process one should practice MOOLBNDH and TRIBNDH. Sidh Aasan and Pdaasan will
remain more beneficial in this process.

MANTRA-

SAAT LOK KO SAAT JAGAT, SAAT VARAN KO SAAT SHAREER, SAAT PHOOL MEIN KHELE JYOTI, KAAHE
HOWAT NEER ADHEER, PHUNKAR MAARAT JE DOOLAT HAIN, SAAT PHAN KO JO KAREER. ULTAT
PHERA BANDHE HAI JO, KHELAT MUSKAWAT KHOLE GURU BEER.JAI JAI JAI SATGURU KI DUHAAI.

Tantra kaumudi July 2011 39 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

इस हांड म अ य वग क शि य का भी वास है,िजनसे हमारी स यता भािवत होती रहती है,इन उ थ या िन थ


वग क शि य को अपने अनुकूल बना कर मनोवांिछत लाभ पाया जा सकता है.साबर म म ब त से ऐसे मं ह जो
ब त से अलग अलग काय के िलए यु होने ह.िन मं जहाँ उपरो शि य को पूण प से वश म करने के काम आता
है वही ये सामा य मनु य के िलए भी ती भावकारी है. सावन मास के कसी भी ११ दन म या हण काल म इसे जप
कर िस कर ले,सावन म १००००० क सं या म जप करना होगा और हण म १०० माला जप करना होगा,सामने
महािस गु टका हो तो अित उ म नह तो साबर िसि य तथा सुपारी रख कर इसे जप करना चािहए.िन य
गु ,गणपित.दु गा और िशव पूजन होना चािहए.िन य जप के बाद २१ आ ित गूगल क देना है.साधना पूरी होने के बाद
कोई भी व तु,कपडा या साम ी ३२४ बार म पढकर अिभमंि त करके कसी को भी देने से वो पूण अनुकूल हो जाता
है,और य द कु छ न हो सके तो मं पढ़ कर फूँ क मर कर भी यही ि थित ा क जा सकती है.पू णमा क राि को इसी मं
क १०८ माला जप पवत िशखर पर उ र मुख करके करने से और सुगि धत पु प,लवंग,खीर इ या द का भोग चढाने से
य व ग धव जाित से आपका संपक होता है.और अमाव या को शमशान म या पीपल के वृ के नीचे बैठकर,दही बड़े,पापड
और उबला उडद का भोग रख काली हक क माला से १०८ माला जप दि ण या पि म मुख होकर करने पर भूत िसि
होती है.

Tantra kaumudi July 2011 40 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

म - लं ल नमः.

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Teevra Yaksh Gandharv Siddh Saabar Sadhna:-

The universe is the abode of the powers of other classes, which have influenced our civilization.
By making all these powers favorable for us whether they are low or high influential its benefits
can be found. Saabar Mantra consists many more other chants (Mantras) which are useful in
other wanted works. Below mentioned Chants is used to accomplish all the desires and on the
other hand these all are very useful and beneficial for the normal human beings also….During
Saawan month in any of the 11 days or during the eclipse period (Grahan Kaal) get it enchanted
and accomplished….One needs to enchant it for about 100000 in no.s and in the eclipse period
one needs to enchant 100 rounds …and if during this devotion if you have “Mahasiddh Gutika”in
front then it is great, else enchant the process by keeping “Saabar Siddhi Yantra” and the beetle
nut in front….Along with this you have to worship daily Guru,Ganpati,Durga and Shiv Poojan
also…On daily basis after the enchanting process, one needs to give 21 holocaust (Aahuti) of
Google….After the whole devotional practice, take any thing, cloth or any other asset and repeat
it324 times to invoke the mantra in order to make it fully accomplished…and if still it is not
workable, then blow this mantra by enchanting and can get the favorable conditions…

In Full Moon Light (Poornima Night), if practicing of the Mantra 108 times is done by facing in the
North Direction at Parvat Shikhar and by offering Flowers, Jamaica and the Kheer one can contact
with the Yaksh and the Gandharv and performing the same mantra in the Moonless Nite (Amavas
Night) in Cemeteries (Shamshaan) or below the Peepal Tree and by offering Curd,Bade,Papad
and boiled Urad facing either in South or West direction by performing the mantra 108 times with
the Hakeek Mala ,one can accomplish “Bhoot Siddhi”…

Mantra: - Klam Kleem Hreem Namah

Tantra kaumudi July 2011 41 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

कई बार हम साल तक कसी महाशि क आराधना करते ह पर तु ना तो कोई ाक होता है और न ही कोई अनुभव
तब साधक साधन को ढ ग समझने लगता है और उसे लगता है क उसक हणत बेकार गयी,य द ऐसा हो तो िन साबर
मं का योग अव य ही करके देखना चािहए.साबर मं क िलत नह है,ये ब त ती ता से अपना भाव दखाते ह.ये
या महािस गु टका पर ही संप होती है.गु टका को सामने थािपत कर कसी भी वटवृ के नीचे बैठकर पूण शु
िच होकर जो भी आपक साधना क वेश भूषा हो,उसे धारण करके िस ासन म बैठकर गोरख माला से २४ माला िन य
१४ दवस तक करे,जप के बाद दशांश हवन करे और गुड का भो द,आपका मनोरथ पूण होगा और आपको स बंिधत देव
शि का य ीकरण और सािन य ा होगा.

म -

ॐ डंक मुख े िवधु जीभे हं हं चुटके जय जय वाहा

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Dev Pratayakshikaran Saabar Sadhna

Tantra kaumudi July 2011 42 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Many Times we worship the most powerful entity but not able to see it or to feel the results of the
devotions and at this time the devotee gets a feeling that all the devotions are just fake and feels
that all his hard work had just got waste, if someone gets the same feeling ,one should perform
the below mentioned “Saabar Mantra” on mandatory basis…Though these Saabar Mantras are
not very much known but these shows there effect on immediate basis….Remember, these
Mantras are effective only when they gets accomplished on “Mahasiddh Gutika”…

Place this Gutika below any of the Vatvraksh and with all the determined heart and soul wear your
devotional dress and sit in Siddhasan Mudra and chant the mantra on daily basis till 14 days by
Gorakh Mala 24 rounds....After the Mantra performance, do Dashansh Havan and offer Gud
(Jaggery)….Your all desires will be full-filled and you will feel the presence of the concern all the
Spiritual and Devine Powers with you…

Mantra: - Om Dank Mukhe Vidhu Jeebhe Ham Ham Chutke Jai Jai Swaha

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Tantra kaumudi July 2011 43 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

ज मकुं डली म कई ऐसे योग होते ह िजनक वजह से कसी भी ि फर वो चाहे पु ष


हो या ी अपने जीवन क सबसे बड़ी खुशी िववाह से वंिचत रह जाते ह.... साथ ही कई बार ये कावट बाहरी बाधा या
ार ध क वजह से भी आती ह. फर चाहे लाख यास करते जाओ उ मान पंख लगाकर उड़ते जाती है पर एक तो र ते
आते नह ह,और य द आते भी ह तो अ वीकृ ित के अलावा और कु छ ा नह होता है. लोग लाख उपाय करते रहते ह पर
सम या का समुिचत िनदान नह हो पाता है.पर तु िन योग नाथ िस क अ भुत देन है समाज,को िजसके योग से
कै सी भी िवपरीत ि थित क ितकू लता अनुकूलता म प रव तत होती ही है और िववाह के िलए े संबंध क ाि होती
ही है.

कसी भी शुभ दवस पर िमटटी का एक नया कु हड़ लाए. उसमे एक लाल व ,सात काली िमच एवं सात ही नमक क
साबुत कं कड़ी रख द.हांडी का मुख कपडे से बंद कर द.कु हड़ के बाहर कु मकु म क सात ब दयाँ लगा दे. फर उसे सामने रख
कर िन मं क ५ माला करे.म जप के प ात हांडी को चौराहे पर रखवा दे. इस योग का असर देख कर आप
आ यच कत रह जायगे.

म -

गौरी आवे ,िशव जो यावे.अमुक को िववाह तुरंत िस करे.देर ना करे,जो देर होए ,तो िशव को ि शूल पड़े,गु गोरखनाथ
क दु हाई फरै.

Tantra kaumudi July 2011 44 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

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Vivah Badha Nivarak Saabar Sadhna

A horoscope contains various calculations due to which any person whether male or female, the
married life's greatest joy is missed.... They also often fail because of external constraints or by
some destiny wish also. No matter, one works very hard to make it favorable the age just gets
more and more but no one gets the right proposal and if they arrives one have no option left just to
dismiss them. People work for lacs of the solutions but the problem remain unresolved…But the
below mentioned devotional practice is the most divine and amazing gift to the society by which
any of the unfavorable condition can be made favorable and the person gets the most best
options for the marriage…

At any auspicious day, bring the Kulhad (Mud Pot)…Keep red cloth,7 black peeper and 7 pieces
of Salt (raw salt) in that kulhad..Cover the open mouth of the pot by a cloth…Now, place 7 points
of Kumkum on the exterior body of the pot…Perform the below mentioned Mantra 5 rounds and
after the whole practice, place that handi (Pot) on a square (where the 4 diff.roads meet at a
circle)….You will be amazed to see the results of this devotional practice…

Mantra: - Gauri Aave,Shiv Jo Byaave,Amuk Ko Vivaah Turant Siddh Kare,Der Na Kare,jo Der
Hoye,To Shiv Ko Trishul Pade,Guru Gorakhnath Ki Duhaai Phirai.

Tantra kaumudi July 2011 45 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

िन मं को पूण पिव ता के साथ मुि लम प ित से सवा लाख बार हक क माला से जप कर िस कर लेवे,शु वार के दन
से इस साधना को ारं भ करे और १४ दन म इस साधना को पूरा करे. जब कोई वा तु खो जाये या चोरी हो जाये,तब
इसका योग करने के पहले और बाद म द द शरीफ का १४-१४ बार पाठ करे और ताली बजावे और बीच म १४ बार उस
मूल मं को करे,िन य ही या तो वो वा तु िमल जायेगी या फर उससे समबि धत जानकारी िमल जायेगी,अचूक योग है.

म -

हयहात हयहात लेमातु अदु न

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Muslim Saabar Prayog for the Identification of Theft

Perform the below mentioned Mantra with whole determined and pure heart and soul as per the
Muslim ritual 1 Lac 25 Thousand Times with the Hakeek Mala and get it accomplished. Start this
ritual on Friday and complete the whole process in 14 days…Whenever any of the things gets
stolen, perform the whole process and later on perform the “Darud Sharif” Paath 14 times twice
and clap and in the middle perform the base mantra…By performing the practice, either you will

Tantra kaumudi July 2011 46 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

get the theft thing or any information regarding the same and believe me this practice is 100%
accurate if performed in a right manner…

Mantra: - Hayhaat Hayhaat Lemaatu Adun

Tantra kaumudi July 2011 47 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

सव सवा मकं के िनयम अनुसार सृि म पाए जाने वाले सभी पदाथ म सब कु छ ा है,इसका अथ ये आ क लोहा
लोहा मा नह है बि क उसमे कांच के भी गुण है और गुलाब के भी,पर तु लोह त व क अिधक धानता होने के कारण वो
हम लोह धातु के प म दृ ि गोचर होता है.य द कसी भी या का सहयोग लेकर उसके अ य कसी ताि वक गुण का
िव तार कया जाये तो ऐसे म वो उस धातु,पु प या पदाथ का ही प दखाने लगेगा िजसके गुण का िव तार कया गया है.
पर तु ये इतना सहज नह है, यूं क मा कसी िवषय का ान होने से आप उसमे िनपुणता नह पा सकते,बि क ान को
िव ानं म प रव तत कर योग करने पर ही सफलता संभव है.

और तं के इसी भाग का(िजसमे ान यु िस ांत को िव ानं पी योगा मक या म प रव तत कया जाता है) योग
करने से हम ऐसे ऐसे रह य का िव फोट कर सकते ह जो सामा य मानवीय क पना से परे ह.

वैमािनक शा के प म सैकड़ थ ह िजनमे इस ान को िव ानं के प म प रव तत करने का िवधान बताया गया


है,अथात सूय के मूल त व को लेकर कै से सरलता से अपने मनोरथ को साकार कया जा सकता है.पदाथ प रवतन तो ठीक है
उसके साथ ही वायुगमन कया जा सकता है,जल गमन कया जा सकता है, िवराट अकार धारण कया जा सकता है अपने
आपको ब त भारी कया जा सकता है आ द आ द.... इसका सामा य िस ांता ये है क सृिजत पदाथ म हमेशा प त व तो
ा ह गे ही,मतलब पृ वी,जल,अि ,वायु और आकाश. अब य द कसी भी पदाथ के भीतर अणु का प रवतन कर पृ वी
और जल त व को िवरल(कम) कर दया जाये और आकाश तथा वायु त व को यादा कर दया जाये तो उस पदाथ िवशेष के
सहयोग से सहजता से वायु गमन या शू यता क ाि क जा सकती है.और य द मा आकाश त व का िव तार कया जाये
तथा अ य त वो को अ यिधक यून कर दया जाये तो अदृ य होना संभव है.य द अि त व,वायु त व और आकाश त व को
यादा िव तार दया जाये और अ य त वो का लु ायः कर दया जाये तो ऐसे म हम उन पदाथ को भी ा कर सकते ह
जो भिव य के गभ म छु पे ए ह और वतमान म िजसका ाक हमारे सामने नह है. आप खुद ही सोिचये क य द सूय

Tantra kaumudi July 2011 48 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

िव ानं का ामािणक और ायोिगक ान हम हो सके तो कोई भी या अस भव नह रह जायेगी.पर तु इस ान को सीधे


सूय से ही ा कया जा सकता है वो भी साधना के ारा,हमारे िलए सूय को अ य देना या सूय नम कार करना सामा य
सी बात होगी पर तु हम ये त य ात नह है क इन या के साथ साथ िजन बीज म और म का योग होता है वे
उस िवशेष शारी रक मु ा और अव था के साथ एक िवशेष या करते ह िजसे शरीर थ च म िवशेष उजा और शि का
िवखंडन और संलयन होता ही है.और य द साधक इसके साथ सूय साधना के गु मं का भी जप करे तो उसे सूय िव ानं के
गूढ़ त वो का ना िसफ ान होता है अिपतु वो इसम ायोिगक कु शलता भी ा कर लेता है.उ पि से लेकर ले तक के सभी
गूढ़ रह य से उसका सा ात् हो जाता है. ये हम सभी जानते ह क सूय नम कार करने से शरीर व थ रहता है या सूय को
अ य देने से िनरोगी देह और ती ने योित क ाि होती है,पर तु फर भी आल य और माद के कारण इसे करने म
कोई यान नह देता,अरे थोडा सोचो क इन या को करने से आिखर हमारे शरीर पर सूय का या भाव पड़ता है जो
हम आरो य और काश क ाि होती है.और वो भी तब जब हम अ ानवश इन या को कर ये लाभ पा रहे ह,य द
पूरी जानकारी और एका ता के साथ इन या को पूरे िवधान के साथ कया जाये,तब भला या असंभव रह
जायेगा......... जरा सोिचये......

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Sooth Rahasyam – Part 5

(Surya Tatva (Sun Element))

As per Sarv Swartmkan rules all the substances found in nature contains everything, it means if
an iron is there it is not just the iron, it contains iron and glass but also the rose properties, but
more of iron due to the preponderance of the iron element, we see it as an Iron…and if with the
help of right practice, the expansion of the main element is being studied, the same element will
start showing the other properties also whether it is a flower or some other mass whose properties
have been expanded…But, this is not so much easy, because only having knowledge of the
subject is not essential and perfection cannot be accomplished just by the knowledge but it can be
accomplished only when the knowledge is being converted into the Science…

And the Tantra part only where (the intuitive science theory into action is observed
experimentally), we can use the secrets that can explode like that are beyond normal human
imagination.

In Vamaniki Shastra, there are many more holy books in which the conversion of the Knowledge

Tantra kaumudi July 2011 49 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

into Science rule has been described…Which Means, by performing on the base element of Sun,
one can easily gets full-fill his desires…Till the element conversion, all is Ok but, along with this
one can perform “Vayu Gaman”, Jal Gaman”process also…One can acquire the most powerful
and the vast form and can also make himself very heavy…

The general principles of these five elements create a substance always be so prevalent, which
means earth, water, fire, air and sky and if only air element should be expanded and other
elements to be invisible if it is possible to have extremely low. If the fire element, the element of air
and space elements should be more detail and other elements can often be lost to So we can get
those materials that are currently hidden in the womb of the future which is expressed before us.
And if the fission and fusion power's out there then no process will be impossible for us to
perform.But, this knowledge can be gained only through the Sun and that too with the help of
devotion…

For us offerings to the Sun (Surya Ardhya) or Greeting the Sun (Surya Namaskar) is something
very general, but we are unaware of the fact that these all these activities contains the base
mantras (Beej Mantra) and when these base mantras are being used then all the processes gets
full-filled in special body forms and conditions and performs a special process which results in the
special powers and energy distribution and accomplishment in the different energy Chakras
present in our body….

And if the devotee along with this Surya Sadhna performs “Gupn Mantra” then he not only come
to know the Hidden Secrets of the Sun Elements but he becomes expert in the practical
performances also…He gets knowledge right from the beginning till all the hidden secrets of that
element…

We all very know that we remains fit and fine by doing Surya Namaskar and by Offering Sun
(Surya Ardhya) one gets healthy body and sharp eye visibility but still having all the facts, one
because of his laziness, no one thinks on this point…Just give a thought that by performing all
these activities what is the effect of the Sun on our body and we remains healthy and gets the
enlightenment and that too when we are getting all these benefits without our knowledge, and
once when gets aware with all the facts and performs the practice with full knowledge and
determination and devotion, what next will be remain Impossible for us…

Tantra kaumudi July 2011 50 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

THINK….!!!!!

Tantra kaumudi July 2011 51 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

रस तं के उ थान के िलए िजतना प र म नाथ योिगय ने कया है,उतना कसी और ने नह कया,बि क ये कहा जाये क
नाथ योिगय से ही इस िव ा के ादु भाव को साथकता िमली है.इन नाथ योिगय ने ही अपनी अथक तप या से सृि के उन
गोपनीय रह य को आ मसात कया और उन सू के सहयोग से िविभ या , या ,त व ,पदाथ ,वन पित का
योग पारद के साथ कया और उनके भाव को िलिपब कया.उसी के प रणाम व प हम इस िव ानं से स बंिधत चुर
सािह य ा आ है.रस र ाकर, रसाणव आ द ब त से थ आज भी ा य ह और ब त से ऐसे थ ह जो क या तो
अ ा य है या फर िजनके पास है वो कदािप इ ह कसी को दखाना या देना पसंद नह करते ह.मुझे ात है क १९९४ म
सदगु देव ने ‘पारद कं कण’ नामक थ क रचना क थी और उ ह ने उसे छपवाने के िलए जब ेस म कायरत गु भाई को
बुलाया और कहा क वे इस कताब क ५० ितयां छपवाना चाहते ह और वो भी कल सुबह तक.ये घटना राि के ११ बजे
क है. पर तु उन गु भाई ने िवन ता पूवक सदगु देव को बताया क सदगु देव इस साइज के पेपर उपल ध नह ह और
य द दु सरे साइज के कागजो को उस नाप म काटा भी गया तो भी राि भर म ये नह छप पायेगी. सदगु देव ने उस कताब
को हाथ म लेकर वही फाड दी. अब ना जाने कौन सा दु लभ ान हमारे सम कािशत होने वाला था,पर तु हमारा दु भा य
आड़े आ ही गया.

खैर ानंद जी ने मुझे कभी बताया था क सदगु देव के व र स यासी िश य ने उनके िनदशन म ऐसे ब त से ंथ
क रचना क थी िजसमे तं के िविवध गोपनीय रह य का संकलन होता था. पर उ ह ने उ ह कई बार कािशत भी नह
करवाया.पर तु ऐसी कई डाय रयाँ उनके िविवध िश य के पास सुरि त रखी यी ह धरोहर के प म. उ ही म से एक
५०० पेज क डायरी मुझे दखाई िजस पर ह तिलिखत अ र म “रसे मिण दीप” िलखा आ था,िजसमे पारद के
सहयोग से िविवध अचरजकारी गु टका का िनमाण करना बताया गया था.उसी म एक करण िविवध म और
वन पितय के सहयोग से साबर म के ारा खेचरी गु टका, पश मिण,महािस साबर गु टका आ द ५४ गु टका के

Tantra kaumudi July 2011 52 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

िनमाण पर था.िजसे उ नाथ योिगय के आवाहन कर ा कया गया था.और आ य ये था क ये सब िनमाण काय साबर
म के सहयोग से होता है, अ भुत प ितय का समावेश िलए ए ये याएँ थी.सव थम िजस गु टका क िनमाण िविध
इस करण म अं कत थी वो इसी महािस साबर गु टका क िविध थी...... िजसके योग से उन महािस का न िसफ
आवाहन होता था अिपतु िविवध मनोकामना क पूत हेतु िजन भी साबर म को िस करना होता था,वे सभी सहजता
से िस हो जाते ह.

इस गु टका के िनमाण के िलए िजस अ सं का रत पारद का योग कया जाता है उसके सभी सं कार रसांकुश भैरव और
भैरवी के म से होता है पर तु ये मं जप दीपनी म यु होना चािहए,तभी इस पारद म वो भाव आएगा जो इस मिण
के िनमाण के िलए अपेि त है.त प ात इसे व ास दया जाये और इसे मु ा िप ी के साथ खरल कया जाये,जब पारद
के साथ उस िप ी का पूण योग हो जाये तब उसे,काले िवष, िवशु ता भ म,बगनी धतूरे, सिहका,मत या ी, ेताक और
ता बूल के वरस के साथ १२० घंट तक खरल कया जाये,और खरल करते समय-

ॐ सारा पारा,भेद उजारा, देत ान उजारा ,दू र अँिधयारा,िशव क शि उरती आये,भीतर समाये,करे दू र अँिधयारा जो
ना करे तो शंकर को ि शूल ताडे,शि को खडग िगरे,छू .

उपरो मं का जप करते जाये,जब भी रस सूखने लगे तो नया रस डालते जाये ,जब समयाविध पूण हो जाये तो उस िप ी
को सुखाकर शराव स पुट कर २ पुट दे दे,और वांग शीतल होने के बाद उस िप ी के साथ पुनः मंमािलनी मं का जप करते
ए उस िप ी का १० वा भाग पारद डालकर खरल करे और मूष म रख कर गरम करे और धीरे धीरे िव वरस का चोया देते
जाये,लगभग १० गुना रस धीरे धीरे चोया देते ए शु क कर ले.अब आप इसे िपघलाकर गु टका का आकार दे दे,इस या
म पारद अि थायी हो जाता है और गु टका हलके रि म वण क बनती है जो पूण दैदी य मान होती है.य द पारद
अि स नह आ तो या असफल समझो.इस गु टका को सामने रख पुनः ३ घंट तक रसांकुश म का दीपनी या के
साथ जप करो और गोरख मन मु ा का दशन करो.तथा इसके बाद ाण ित ा म से इसे िति त कर इसम ६४ रस
िस का थापन कर दो, फर षोडशोपचार पूजन कर उस पर आप मनोवांिछत योग कर सकते ह.इसे कनकधारा मं से
य द २१ माला मं कर िस कर िलया जाये और पूजन थल पर थािपत कर दया जाये तो ये गु टका ल मी को बाँध देती
है िजससे ि को चुर ऐ य क ाि होती ही है.

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अ सं का रत पारद को य द वण ास देकर कांच क बोतल म गधे के ताजे मू के साथ डालकर जमीन म गडा दया जाये
तो ६ मास के बाद पारद क वतः भ म बन जाती है और ये भ म ता बे को वण म प रव तत करती है.

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SWARN RAHASYAM-Part 5
RAS TANTRA AUR MAHASIDDH GUTIKA NIRMAN RAHASYA

For the development of Rass Tantra the hard work and devotion performed by yogis nobody else could do
the same that’s why we can say that this science is presented in its present full fledge form just because of
them. It was the same yogis who with their strong reverence explored the hidden aspect of nature and

Tantra kaumudi July 2011 53 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

then successfully co-joined those natural powers with different elements, particles and flora and further
joined these things with parad (mercury) and successfully recorded its results on the paper as well. And
due to their written records we have great grand literature about this science. Rass Ratnaker, Rasarnav
granths belongs to this category and there are many other granths too which are either not available or
the people who has don’t want to give them to anybody. I still remember in 1994 Sadgurudev compose
and compile a granth named PARAD KAKKAN and in order to get it printed he called a gurubhai who was
working in a press but as soon as he said that to get this granth printed desired pages were not available
and also there is no chance to create that type of pages through the cutting and re-setting of normal
pages. As Sadgurudev heard it he immediately torn that hand written manuscript and we lost valuable
knowledge without knowing its basics due to our bad luck.

While leaving it behind I remembered once Pragyanand ji told me that under the supervision of
Sadgurudev many of his pupils had written precious literature on the secrets and mysterious of tantra
though they did not get them printed yet keep them carefully in the form of diaries. Out of those he
showed me one diary having 500 pages with the title PASENDRA MANI PRADEEP, in which there were
countless procedures were written through which amazing gutikas can be made with the help of parad.
Out of these practices one was based on the fact that how with the trio combination of different mantras,
flora and sabar mantras Khechri gutikas, Sparsh Mani, Mahasidhi Sabar gutika and 54 another gutikas like
this can be made. The first procedure recorded in that was about the making process of this Mahasidhi
Sabar gutika……with the help of not only Mahasidhs can be enchanted and called but also fulfilled every
desire and also was helpful to sidh the tough sabar sadhnas.

For the making of this gutika Ashht Sanskarit Parad is used that too should be sanskarit with the mantra of
RASANKUSH BHAIRAV and BHAIRAVI but these mantra should be systematically organized as per JAPP
DEEPNI system so that parad can get desired effect which is must for the creation of this Mani. Than one
should offer Swarn grass and get it mixed with MUKTA PISHHTI. When it make proper good mixture then
again this mixture should be blended with Black Venom ( kala vish), Pure Tamrr Bhasam, Purple tutia (
dhatura),Sinhika, Mastyakshi,Shwetarak and Tambool for 120 hours and at the time of mixing them one
should enchant the mantra-

OM SARA PARA,BHED UTARA,DET GYAN UJAARA,DOOR ANDHIYARA,SHIV KI SHAKTI UTRI


AAYE,BHEETAR SAMAAY,KARE DOOR ANDHIYAARAA JO NA KARE TO SHANKAR KO TRISHOOL
TAADE,SHAKTI KO KHADAG GIRE,CHHOO

When it seems that mixture is getting dried then again put some more mixture in it and when 120 hours
get passed then get that Pishti dried and make it shrav sambut by Putting it fire for decided time period.
After that when this whole mixture cools down then again with that Pishti blend 1/10 part of parad by
keep on enchanting Mammalini Mantra then slowly-slowly make it hot and offer VILVRAS’s liquid to it. By
offering near about 1/10 liquid make it complete dry. Now firstly melt it and then convert in the form of
gutika. In this whole process parad make itself fire proof due to that gutika took light blood color which is
fully authentic. But if parad remain fails to get the quality of fire proof then it is decided that whole

Tantra kaumudi July 2011 54 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

procedure is failed. By putting this gutika in front of you continuously for 3 hours enchant RASANKUSH
mantra with DEEPNI KRIYA while doing this one should display Gorakh Mann Mudra. Now with the help of
pran pratishthit mantras get it pratishthit and then sthapan (make presented) 64 RASS SIDHS in it. And
then by making SHHODASH UPCHAR on it you can do desired practical. If this gutika can be get sidh by
moving the beads of rosary for 21 times of KANAK DHARA mantra then this gutika can settle down Maa
Laxmi in your desired place forever and ever which will bless your life with comforts and luxuries.

By offering Swarn grass to Ashht Sanskarit parad and then put it in glass bottle with the fresh urine of
donkey and further then putting this bottle under the earth for 6 months then this parad converts itself
in BHASAM which has the capacity to change copper into gold.

Tantra kaumudi July 2011 55 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

स पितवान बनना कोई हेय काय नह है, हम अथ स पन बने और भु के दए इस जीवन को वैभव के साथ िजए. मनु य
जीवन के चार मु य प मे याग सब से अंत मे रखा गया है, इसके पीछे का चतन यही रहा होगा क हम जीवन के सव
प को जान कर ान को अ जत करना चािहए. िबना कसी भी चीज़ के अनुभव कए िसफ उसे हे ि से देख कर उसका
याग करना कतना उि त है कहा नह जा सकता. हमारे ऋिषयो ने भी अपने जीवन को पूण वैभवता के साथ िजया है. वे
ी स पन थे और साथ ही साथ साधनाओ क ऊंचाईयो पर भी, जीवन को भौितक व् आ याि मक प से उ ह ने संयत
कया था और जीवन के हर एक प को साधनाओ से िनखार कर पूणता को ा क . इसी से जीवन मे अथ के मह वपूण
थान के बारे मे क पना क जा सकती है. साधनाओ के मा यम से हम अपनी यूनताओ को दू र करे और अपने जीवन को
उ लास के साथ िजए, ऐसा ही हमारे पूवजो का ऋिषमुिनय का चतन रहा होगा और इसी म मे िविवध साधनाओ का
ादु भाव आ. हमारी यूनताओ को हटाना हमारा हक है और इसके िलए हमारे पास है हमारे पूवजो का आशीष व्
मागदशन उनके ारा िणत साधनाओ के प मे. ऐसे ही कु छ चुनी यी साबर साधनाए िनचे दी जा रही है.

Tantra kaumudi July 2011 56 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

वैभव साधना:
साधना को शु वार से शु करे.

समय राि मे १० बजे के बाद का रहे

ान के बाद अपने सामने ल मी के िच या य को थािपत करे और उसे कु मकु म से ितलक करे

इसके बाद कमलग े के माला से िन मं क २१ माला करे

ॐ वैभव ल मी वैभव दाय संकटनािशनी नमः

उसके बाद ल मीजी को सफलता ाि के िलए ाथना करे

यह म अगले शु वार तक करे. अंितम राि मे मं जाप के बाद इसी मं से शु घी क १०१ आ ित अि मे सम पत


करे.

साधना पूरी होने के दू सरे दन यथा संभव क याओ को भोजन कराये और दि णा देकर संतु करे...

यह साधना से जीवन मे पूण वैभव को ा कया जा सकता है और साधना पूरी होते ही जीवन क गित चम का रक प
से बढ़ जाती है.

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अ ल मी योग:
यह योग उनके िलए अ यिधक उपयोगी है िजनको लंबे अनु ान के िलए समय नह िमलता

इस योग मे साधक के पास अ ल मी य होना चािहए, सुबह ान करने के बाद य के सामने ल मी देवी को भोग
लगाये और य के सामने खड़े खड़े ही एक माला िन मं का फ टक माला से जाप करे.

ॐ अ ल मी भोग मो दाियनी िसि म कु नमः

उसके बाद लगाया आ भोग साद के प मे हण करे.

भोग लगाने से पहले कु छ भी हण नह करना चािहए. इस मे और कोई िवशेष िनयम नह है. साधक इसे िनयिमत प से
करता रहे. जीवन मे उ रो र गित िमलती रहेगी और आय के नए ोत सामने आते जाएँग.े

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To become rich is not at all cheap from any point; we should be rich and should live life with

Tantra kaumudi July 2011 57 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

complete splendor. In the main four aspect of the human life, renunciation is kept at last; the
contemplation behind this should be to acquire knowledge by experiencing every aspects of the
life. Without experiencing anything to renunciation of that particular this is how much worth, could
not be said. Our sages too had lived their life with prosperity. They too were rich and at the same
time on the pick of sadhana and accomplishments, they had balanced their material and spiritual
lives and they achieved totality with the help of sadhanas. With this, the importance of the wealth
in the life could be imagined. Our sages must had thought that we should remove our
incompleteness with the help of sadhana and should live life gleefully and with this, various
sadhanas came into existence. It is our right to remove our incompleteness and we have
blessings and guidance of our ancestors and sages in the form of their sadhanas. Some of such
shabar sadhanas are given below.

Vaibhav Sadhana:

Sadhana should be started from Friday


Time should be after 10 PM in night
After bath one should establish photograph of lakshmi or yantra in front of them and should do
tilak with vermilion on it.
After that chant 21 rosary of the following mantra with Kamalgatta rosay.

Aum Vaibhav Lakshmi Vaibhav Pradaay SankatNaashini Namah

After mantra jaap one should pray to goddess lakshmi for the success.

This should be continued till next Friday. On the last night, after mantra jaap one should offer 101
aahutis of pure ghee with the same mantra.

On the next day of sadhana been completed as per capacity one should offer food to small girls
and give dakshina.

With this sadhana complete prosperity could be gained and as soon as sadhana completed, the

Tantra kaumudi July 2011 58 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

progress in the life starts moving ahead very quickly.

AshtLakshmi Prayog:

This Prayog is very important for those who are not able to do long anusthan with time problem.

For this prayog, Sadhak should have asht lakshmi yantra , in the morning after bath, one should

offer Bhog infront of yantra to goddess lakshmi and by standing infront of yantra one should chant

one round of the following mantra with sfatik rosary.

Aum AshtLakshmi Bhog Moksh Pradaayini Dravyasiddhim Kuru namah

After that have the offered bhog in the form of Prasad.

Before bhog one should not eat anything. There is no more rules. Sadhak should do it on the

regular basis. In the life progress will be generated gradually and new sources of the income will

keep on coming.

Tantra kaumudi July 2011 59 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

साधना जगत क िवशालता के बारे म इतना ही कहा जा सकता ह क कभी भगवान् बु के िश य आनंद ने उनसे पूछा
था क उसका वयं का ान कतना ह फर भगवान् का ान कतना ह और आिखर स पूण ान कतना ह , भगवान्
बु ने ह ते ए कहा क िजतने वृ इस स पूण जंगल म ह उनसभी के कु ल प े बराबर स पूण ान रािश ह, म िजस
पेड़ के नीचे खड़ा ँ उतनी मेरी ान रािश ह ओर इस पेड़ के िजतने प े नीचे िगर पड़े ह उतनी तु हारा ान ह . ठ क
यही बात साधना े पर भी पूणत: से लागु होती ह ,

एक और जहाँ शमशान साधना ह दू सरी ओर अघोर साधना ह फर चाहे वह साि वक हो या तामिसक


हर जगह इन साबर म का चलन पाया जा सकता ह . ऐसी या िवशेषता ह इन म क ..

जब वै दक कम का ड यु मं ो का काफ चलन हो गया पर उसके ाता अनेक बात पर इतना अिधक


जोर देते थे क िव ा सुपा के अभाव म समा से होती जा रही थी वही दू सरी ओर युग धम के अनुसार लोग
भी िजतनी सुिचता रखा चाहते थे नह रख प् रहे थे तब इस िवड बना को देखते ए भगवान् िशव ने इन म क
रचना क जो क अपने आप म अ भुत ह क िलत भी नह ह सरल ह े ह ती ता यु ह साथ ही साथ इन क

Tantra kaumudi July 2011 60 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

िसि ता करने के िलए कोई साधारण तयः कोई िवशेष िनयम क आव यकता भी नह ह.

ये इतने सरल ह पर कई बार उ को टके तं को भी इनक भाव मता को


दख कर दाँत तले अंगुिलया दबाना पड़ जाती ह. या इनक मता मा कु छ छोटी याओ तक ही ह , नह ऐसा नह
ह यि णी साधना से लेकर उ को ट क महा िव ा साधना भी इनके मा यम से संप क जा सकती ह .

जन मानस का िव ास ह क गु गोरखनाथ रा यह मं चिलत ए कई लोगो का िव वास ये भी ह क इसी परंपरा


म चपटीनाथ ने यह चिलत कये ह पर जो भी हो इन मं ो क ाचीनता ओर भावशािलता पर कसी भी कार का
संदेह तो कया जा ही नह सकता ह .

इन मनीिषय ने अनथक म करके ऐसी िविधया सामने तुत क िजनक तो कोई सानी ही नह नह . आप म से
िज ह ने पि का के पुराने अंको म शाह के शाह : साबर शाह " लेख पढ़ होगा वह ये तो बखुब जानते ह गे क , लड़क
से लड़का बना देना, पुरे नगर को एक जगह से दु सरे जगह पं चा देना , भुत ेत से अपने घर के काय करवाना ओर
भी कई चम कार उ ह ने दये थे ओर उनक िविधया भी पूणता के साथ बताई थी.

पर कु छ िवशेष िनयम या ऐसे कहे क मह वपूण िनयम भी जान लेने चािहए ,

य क साधना को कभी भी आसानी से लेना नह चािहए वह से सव काल से गंभीरता का ही िवषय ह , फर िजतना


हम उसे अ छे से लगे उतना ही प रणाम हमारे मनोकु ल ा ह गे.

यु तो सफलता के िलए ब त से कारण हो सकते ह ओर इसी तरह असफलता के िलए भी कहा जा सकता ह ,
आएये हम एक एक कर कु छ िनयम पर बात करे ...

1. इन साधनाओ को कभी भी रात या दन म कया जा सकता ह .हाँ जहाँ पर िवशेष प से समय का िनदश
दया गया हो वहां अव य ही पालन कर.
2. इन साधनाओ को पीले रंग के व धारण कर करे , पर कसी साधना िवशेष म उसके व के िनदश का
पालन करे .
3. धूप ओर लोहबान का अपना ही मह व ह
4. गु पूजन ओर गु ,मं के मह व को आप नकार नह सकते ह इसका तो अपना ही मह व ह
5. हर साधना के पहले ओर बाद म सदगु देव पूजन हरहाल म कर ही
6. साधना के िलए न के बल अपने गु देव पर ,साधना साम ी पर, िविधपर बि क अपने पर भी उतना ही
िव ास होना ही चािहए ही.
7. साबर साधन को ऐसे तोकभी भी कया जा सकता ह पर य द िविश दवस पर या िविश म त पर कया
जाये तो िवशेष सफलता ा ही ह.
8. साबर साधन से स बंिधत दी ा भी य द कारले तो सोने म सुहागा क ि थित भी िनमािणत हो जाती ह .
9. साबर य क थापन भी ज र करे.
10. यु तो ापार या नौकरी काय भी कया जा सकता ह उसके िलए कोई ित ब ध नह ह ,
11. य द दो साबर मं ो िस करने जा रहे होतो उनके साधना योग एक के बाद एक न करे बि क कु छ घंटे का
अंतराल ज र रखे .
12. साबर साधनाओ म भय क ि थती नह आती ह पर य द आये तो आसन ना छोडे नह , न ही भयभीत हो.
13. कु छ साधनाओ म गाय ी म जप उस दौरान न करे .

Tantra kaumudi July 2011 61 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

14. यदिप साधनाओ म सफलता पर य द थम यास म कु छ कारण से निह िमल पाए तो पुनः पुनः यास करे .
15. नव ह या दशा अ तदशा अनुकूल न चल रही हो तो तबभी साधना म असफलता निहिमल पाती ह तो
नव ह को अनुकूल करने क साधनाओ परभी यान रखे ही .
16. साबर साधनाओ के मा यम से कसी को भी क प चने का यास न कर ,न ही वशीकरण िव ा का योग
अपनी वाथता के िलए न करे. इस हाल म वह मं िन फल हो जाता ह वह देव भी होकर आपके
िव होजाते ह ,
17. हण काल तो भा य से ही िमल पता ह ओर उसे साबर साधना म य द उपयोग करे य द कसी का मानस ह
तो वह अ यंत े समय होता ह .
18. य द मुि लम मं ो का योग हो तो यान रखे क उनम माला उलटे ढंग से फे री जाती ह ओर व ासन म
बैठना होता ह .ओर धोती क जगह ,लुंगी का योग होता ह.
19. सुिचता ओर शुि ता क िवशेष अिनवायता तो नह रहती पर कसी भी
साधना म यह करना ठीक ही रहता ह .

ये तो साधारण िनयम ह पर कु छ ऐसे साधना मक या ऐसी ह जो आप को सफलता के एकदम सामने ला खड़ा


करदेती ह .. या ह वह ..बस अगले कसी िलख म ..

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Why Sabar sadhana has so much importance......

One upon a time Anand the disciple of Bhagvaan buddh asked to him that how much
the total knowledge exists in this universe and what is his total knowledge and what
about him. On listening this question , Bhagvaan buddh smile and said the total number
of leaves exist in this forest , such is the number of knowledge and the total number of
leaves on this tree ,inside that we are sitting is mu knowledge and the leaves falls on
this tree is your knowledge. Same thing is applicable to sadhana kshetra. -

On one place where there is shamshan sadhana other place direction Aghor sadhana ,
either through saatvik way or tamsik ways , everywhere theses sabar mantra is found
applicable . what is the specialty is of theses.

When vadaik mantra was in highly practices but the problem was their expert presses
too much on various ritual , on because of that the knowledge , the exponent of the
vidya are very few. And due to changing condition in person out look the purity of body
and mind are not as it should be as per the vaidik mantra experts asked. On seeing this
situation Bhagvaan shiv created theses mantra known as sabar mantra, they are a very

Tantra kaumudi July 2011 62 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

special type , not keelit in any type ,easier one , highly effective, and for to have siddhita
there is not any special rules regulation need to be followed.

They are so easy , many times even the higher savants of the sadhana field cannot
believe on seeing the effectiveness of theses sabar mantra .and these mantra are not
limited to only minor work but its range from yakshini sadhana to shamshan sadhana
and from that to mahavidya sadhana.

In general people believe that theses mantra are available to general masses through
guru gorakhnath , some people believe that in guru gorakhnath order one mahayogi
charptinath ji created theses mantra and make available to common person, so reason
may be any but one thing is that the validity effectiveness and uniqueness of thses
mantra cannot be questioned.

Theses sadhana field giants’ discovered many process of theses sabar mantra , which
is unparallel or unique , one cannot believe that. Those who had read the article named
“sahaon ke shah sabar shah” appeared in old issue of mantra tantra yantra vigyan mag.,
already knew that the sadhana for changing the sex of girl to make her boy, or sadhana
which can transfer the whole city from one place to another, and like getting work done
through bhut prêt .so many sadhana of appeared completely.

But there are some simple rules one must know that.

Since should not be ever taken very lightly in any case .its always be very serious
business. More we take seriously more our success rate .

There can be many cause for success so same is applicable for failure too . lets talk one
by one some of theses.

1. Theses sadhans can be successfully completed on days or night time but


where the time specified plz follow that.
2. Always wear yellows cloths until unless specifically asked for other color
that.
3. Dhhop and lohvaanhas are having their effective role to play.
4. You cannot underestimate the guru poojan and guru mantra , theses are the
bases for success.
5. Always do the Sadgurudev poojan before and after in any type of sadhana
even in this too.

Tantra kaumudi July 2011 63 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

6. To get success in sadhana one must have faith unshakable in Sadgurudev,


sadhana samgri, and its process and most importantly on himself.
7. As theses sadhana can be done on any occasion but if they can be done on
specific time and specific mahurat than result would be better.
8. If one take Diksha of sabar sadhana related than this would be greatest
things.
9. Must have install SABAR YANTRA .
10. You can do your business work and job , there is no restriction for that.
11. If you are interested to do two sadhana at one sitting or day than have
some hours interval in between that.
12. There Is no fear condition in that during the sadhana time. But if it comes
than do not even move your asan and not to be fear.
13. In some sadhana kaal time gayatri mantra jap is totally stopped .
14. If suppose not getting success in one attempt than do that sadhana again
and again .
15. If planetary astrological period is not positive than sadhana success also in
doubt, so one must also pay attention on this point
16. Never attempt any sadhana for harming other , specially like vashikaran
vidya, in that if you do that , mantra get effect less and related deity become
very angry upon you
17. Very fortunate one get grahan kaal if any one want to use it for sabar
sadhana than its very good time.
18. While doing muslim mantra sadhana, do jap with rosary moving in reverse
direction as to the normal way that means from inward to outward
direction, and sit in vajrasan posture and instead of dhoti wear lungi as
muslim brother used to wear.
19. Physical and inwardly purity not much matters but if applied here result
will be much better.

Theses are the simple rules but in addition to that some sadhanatmak process are here
which could help you to stand just in front of the success, what are they in any next
articles

Tantra kaumudi July 2011 64 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

हर कसी का सपना यह होता ह क कतनी ज दी उसे साधना म सफलता िमल जाये , पर हम


कभी जानने क कोिशश ही नह करते क यह साधना जगत अपने आप म कतनी गूढता रखे ए ह
जहाँ मा कोई ता कािलक लाभ ा करने क कोिशश ह वहां पर तो कोई भी योग चल सकता ह, पर जब हम इस
े म आगे बढ़ना चाहते ह . तब हम धीरे धीरे इस जगत क सारी चीजे सीखनी ही पड़ेगी यह िनि त क यह
सब एक रात या दन म नह होने वाला बि क धीरे धीरे हम एक एक सू िसखने ह गे एक एक गूढता और दु हता तो
सीखनी ही होगी और इसक भाव भूिम को भी दयंगम िभकारन पड़ेगा भी , तभी तो हम अपने आप को सदगु देव
भगवान का एक स ा िश य होने क दशा म आगे बढ़ पाएंगे.सदगु देव सच म चाहते ह क हम इस े म िविश ता
ा कर पाए.

पू य सदगु देव जी का यह सपना रहा ह क उनका हर िश य अपने आप म िविश हो कसी भी े म पर हो अपने आप


म अि तीय .स पूणता के साथ पूरी िवशे ता उसे ा हो पर उसे यह क ठन म ओर स ी ा से ा करना ही
होगा. पर तु साथ ही साथ उसे एकांगी भी नह होना ह , उसे तो हर हाल मसब सीखना ही ह

आप जानते ही ह क िश य /िश या श द का अथ ही ह वहजो हमेशा सीखने को तैयार रहे .

तोहम साधना के इस भाग म कै से सफलता ा कर सकते ह, िजसे साबर साधना कहते ह यहाँ इसम सबसे मह वपूण

Tantra kaumudi July 2011 65 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

त य यह ह क ा ओर िब वास आपका आपके गु के ित हर हाल म अिडग ही रहे , कोई भी प रि थित उसे िडगा
नह पाए . य क अिधकांश साबर साधना म आप पायेगे क कु छ श द बार बार आयगे जैस"े मेरी भि ओर गु
कशि " तो फर इस श द खला का कोई अथ होगा .इस पि का के आगे आने वाले लेख म आपन इन मं ो म
सफलता पाने के अभी तक गोपनीय रह य पायेग.े इस लेख म के बल उन िब दु ओ क चचा कर रहा ँ जो क आपके
िलए ज री होगा .

सदगु देव भगवानने कई बार इस थे क ओर हमारा यान आक षत कराया ह क अगर हम साधना म सफलता पानी ह
तो ामािणक सही साधना साम ी चािहए ही ह जो क पूण ाण िति त हो ही. िबना उसके कै से एक साधक सफलता
ा कर सकता ह.अब आप सोचगे क हम ये साधना साम ी कहाँ से ा कर पाएंगे तो य नह सदगु देव जी ने हमेशा
से कहा ह क जोधपुर ओर द ली गु धाम से ा साधना साम ी तो हमारे िलए ही तो तैयार करायी जा ती ह, तो
इस हेतु साधक िबना कसी भी िहचक के साधना साम ी ा कर साधना करसकते ह. तो जैसे ही हम सही साधना
साम ी ा होती ह हम अपनी साधना ारंभ कर सकते ह .

नह

अभी भी कु छ ऐसे बदु ह िज ह जानना ज री ह मान लीिजये कसी कारण वश कोई साधना साम ी आप ा नह कर
पाए , या साधना काल म कोई आपने गलती कर दी तब ?इस तरह क सभी संभावनाओ के म े नज़र हम हमारी गु
परंपरा से एक य िमला हजो हम कभी समझ नह पाए , िजसके बारेम सदगु देव जी ने कई बार अपनी पि का म हम
समझाया ह और वह वरदान व प यं ह " साबर य ".

यहाँ पर हम न के बल म के बारेम ही सीखना ह वरन हम इससे जुड़े अनेक चीजे जैसे यं के बारे म भी सीखना
ह या कोई य हम सफलता यादा ज दी दला सकता ह य नह . य वा तवम एक कले नुमा आकृ ित ह िजसम
स बंिधत देवी देवता के साथ उनक सहयोगी शि या भी िनवास रत रहतीह, अभी भी ान क इस शाखा का पूरी तरह
उपयोग नह आ ह , इस े म अभी भी खोज के िलए अ यिधक जगह ह पता नह कतने रह य अपने खुलने क
बाट जोह रहे

हाँ यह स य ह

यह य उन सभी के िलए बेहद उपयोगी ह जो क इन साधना के े म आगे जाने के िलए अ यिधक उ सुक ह ही यह
य साधना काल क अनेको किमय को दू रकर साधक को सफलता क ओर अ सर कर सकता ह यह य तो हर
साधक के पास होना ही चािहए इसिलए नह क सदगु देव भगवान् ने ने कहा ह बि क इसिलए भी उनके अनुसार
अनेको साधना इस यं पर क जा सकती ह , पता नह कब गु देव कोई साधना इस पर भी दे दे , फर पता चले य
मगाने के िलए समय /धन न हो, तो इस कार का य अपने पास रखना ही चािहए. .

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Sabar Yantra
(Now how for the siddhi in sabar mantra sadhana……)

Tantra kaumudi July 2011 66 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Every body to be siddhi in just a few moments, but we never think that how complex the
sadhana world is , where the aim to get just temporary benefit than its ok to do any
prayog but when we really want to trade in this field than we have to slowly and slowly
learn all the aspect of the sadhana world its quite natural that it will not going to be a
one night dream but we have to patiently work hard to get the all related sutra,
understand all the complexity and absorbs all the bhav bhumi only than we can say that
yes we are a true disciples of sadgurudev who really want to be us to have excellence in
this field.

Poojya Sadgurudev always have the dream that his shishya / shishya will be one of its kind
, have master in any particular branch thoroughly through the hard work and real
devotion in this field, but he also not want that his shishy/ shishya becomes only learn
one aspect of science but to know as much as what they can learn .

What the shishy/shishy word means one who is always ready to learn .learning never stop
so the shishy is.

So how to get success in this path of sadhana, specially sabar mantra , most important
things is your devotion and faith (not believe) toward your guru, unshakable at any cost.
Since in majority of the sabar mantra you will find the word “ mery bhakti guru ki shakti”
so this word has some meaning. In coming articles you will get many such secret hidden
keys to get success in this sabar mantra sadhana . here I am emplacing only some point
which could be helpful to all.

Sadgurudev ji many times said that without the appropriate sadhana material means
correct sadhana samagri with pran partishtha , how can a person expect to get success.
But where to get such type of samagri, off course you can contact Poojya Gurudev
trimurtiji in this connection. So once we have correct sadhana samagri we can start our
sadhana, this all.

No

Still some more point need to be consider ,suppose there is lacking of any samgri, reason
may be any, and any mistake you have done while doing sadhana what you can do.
Keeping all these possibility in mind provide us one boon which we all never paid much
attention, thought that articles many times published in our gurudham magazine. That is

Tantra kaumudi July 2011 67 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

“SABAR YANTRA”.

Here we have to have learn about not only mantra but also on the various other things
like yantra and other related things. Can yantra help you to reach success why not.
yantra is a complete fort where all the forces related for reside. Yantra field still we have
to explore ..where many such a secret still waiting to explore one cannot imagine.

Yes this is true ,

this great yantra is very useful who are willing to go ahead for this type of sadhana, and
this yantra removes the many shortcoming occurred during in the sadhana. One must
have this yantra , not only this Sadgurudev ji told that many sadhana can be done on this
great yantra. One must get this yantra, who know when sadurudev ji gives us any specially
sadhana that can be happened only on this yantra.

Tantra kaumudi July 2011 68 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

मु ा िव ानं के अंतगत कई एसी मु ाओ का अ यास होता हे िजससे साधक साधनाओ क उ तम ि थित को ा कर लेता
हे. तं म मु ा को एक अ यिधक आव यक अंग माना गया हे, और मु ाओ का अ यास करने वाला साधक तं म ती गित
से सफलता ा कर सकता है. सभी कार क साधनाओ म मु ा का एक मह वपूण थान हे और इसी के अंतगत मु ाओ के
कई कार हे. शि ओ को आक षत कर के के ीभूत करना मु ाओ मु य काय है तथा मु ाओ का आधार पंचत व का
िनयमन हे. उं गिलयां पंचत वो क ितिनिध हे व् इनको िनदिशत दशा म गितिवध करने पर शारी रक त व म प रवतन
होने लगता हे िजसका सीधा स ब ध परा जगत से होता है.

मु ाओ का मह व िसफ मा एक त य पर भी जाना जा सकता हे क इ ह वामाचार के मु य पंचमकार म भी यह एक अंग


है. यु मु ाए न िसफ आ याि मक वरन भौितक सफलताओ के िलए भी बराबर मह व पूण है. नाथ योिगयो के म य गु प
से ही सही ले कन कु छ एसी मह वपूण मु ाओ का अ यास गु मुखी परंपरा से कराया जाता हे क साधक अ यंत ही सहज
यास म वह सब कु छ हािसल कर लेता हे जो उसका अभी होता है, एसी मु ाओ का उले ख कसी थ म नह कया
गया था ता क इसका दु पयोग न हो सके और यो यता वां ि यो को ही मा इसका ान हो सके . नाथ तं दी ा के बाद
इस कार क मु ाओ का अ यास अ यंत गु प से चुने ए िश य को कराया जाता है. कई नाथ सं दाय के महायोगी
िसफ मु ाओ के मा यम से ही अ िसि यो को ा कर चुके हे. पू य ी िनिखले रानंद जी ने अ यिधक कृ पा कर के मुझे

Tantra kaumudi July 2011 69 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

कई एसी दु लभ मु ाओ का ान दया था. उन मु ाओ का भाव देख कर चम कृ त व् दंग रह गया था म. आज उ ही मु ाओ


म से कु छ मु ाओ का उ लेख म आगे कर रहा .

द ा मा आकषण मु ा:

अंगु को म यमा अंगुली के िनचे थािपत करे. फर म यम को अंगु के ऊपर हथेली तक मोड दे. बा क तीन अंगुिलया
सीधी रहे. दोन हाथो म यही या हो, उसके बाद पर पर दोन हाथो को जोड़ दे. यह द ा मा आकषण मु ा बनती हे
िजससे िस जगत क द ा माओ का आकषण होता हे. इस मु ा को यथा संभव ३० िमिनट तक ह मु त म और ३०
िमिनट सोने से पहले अ यास करना चािहए. इस मु ा के अ यास से साधक को द ा मा य अ य प म सहायता
दान करती है और साधना का माग स त करती है, अगर िनयिमत प से साधना मक िनयम के साथ इस मु ाका
साधक ११ दन तक अ यास कर लेता हे तो उसे व म द ा मा का दशन सुलभ होता है और साधक उनसे व ाव था म
साधना सबंधी पूछ सकता हे एवं उनका मागदशन ले सकता हे.

िस नाथ दंड मु ा:

बाये हाथ क सभी अंगुिलय को मोड के हथेली तक लाया जाए. अंगु सीधा तना आ रहे. अब दाय हाथ क अंगुिलओ से
बाये हाथ के अंगु को ऊपर से पकड़ा जाए, तथा दाये हाथ का अंगु सीधा रहे. इस मु ा म दायाँ हाथ ऊपर और बाया
हाथ िनचे रहेगा. इसे िस नाथ दंड मु ा कहते हे. इसका अ यास करते व आंखे बांध रहे व् यान नािभ पर रहे. इस मु ा
का अ यास करने वाले साधक क ानशि अ यिधक बढ़ जाती हे और उसे सृि के कई गोपनीय रह य अपने आप ही
समज आने लगते हे, ान शि बढ़ जाने पर उसे कई िविवध कार के चम का रक अनुभव वयं ही होने लगते हे और
साधना के गोपनीय रह य उसके सामने िथरकने लगते हे. थायी प से इस मु ा का अ यास करने पर कई िसि या साधक
को वतः ही ा हो जाती हे.

मंजरी मु ा:

दोन हाथो तजनी अनािमका व् म यमा अंगुलीओको हथेली क तरफ मोड दे व् थम अंगुली को एक दम सीधा रखे अंगु
को सीधा कर दे. अब दोन हाथो के अंगु को एक दू सरे से पश करने पर मंजरी मु ा बनती हे.

इस मु ा क जीतनी शंशा क जाए कम है, इस मु ा के िनयिमत अ यास से ि का मोह कम हो जाता है, उसमे साधना
के ित एक आदर भाव उ पन होता हे, साधना के िलए अनुकूल ि थित उसे ा होती रहती है, यह मु ा आनंद कोष को
जागृत करती हे फल व प साधक चाहे संसार के बाहरी याकलाप म हो या कसी भी काय म हो, अंदर से वो हर पल
एक आनंद म डू बा रहता हे और अपने आप म ही खोया आ वह कृ ित से एक कार हो जाता हे. वा तव म यह मु ा
अ यिधक गु हे यूं क योगतं क उ तम साधनाओ के िलए िजस कार क भावभूिम साधक म होनी चािहए यह मु ा
उसी का ही थापन करती है.

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Nath Yogiyon ki Adbhut divya mudraye

(Amazing divine hand gesture of Nath Yogies)

Tantra kaumudi July 2011 70 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

There are special practices applied under Mudra science, which lead sadhak to achieve
highest levels in Sadhanas. In the tantra, Mudra is believed as one of the very important
part, and Sadhaka practicing Mudra can achieve success in tantra with rapid speed. In
every kind of sadhana, mudra owns its important place and thus leads various types of the
same. To attract powers and centralize them is main work of the Mudra and the base of
the Mudra is to control 5 elements. Fingers are representation of 5 elements and to active
those in proper direction can lead change in body elements which is directly connected
with Trans world.

The importance of Mudra can even be understood with a single fact that it is also part of
Panchamakara of Vaam marg. This way, mudras are useful for not only spiritual attainment
but for material success even. Though secretly but in nath cult there are few important
mudras which are applied for the sadhak to practice with Guru Disciple tradition only
leading sadhak achieve his desires in very less efforts. Such mudras are not described in
any scriptures so no one can misuse it and only appropriates may only get the knowledge
of these mudras. After Nath tantra Diksha only selected disciples receive this knowledge
secretly. There are Many Nathyogis who succeeded to receive AshtSiddhi through Mudras
only. With extreme please of pujy Nikhileshwaranandji he blessed me with such rare
knowledge of Mudras. After watching effect of these Mudras, I was amazed. Today, I am
sharing few of them with you, below.

Divyatma Aakarshan Mudra:

Place your thumb under Madhyama finger. Then the thumb should be folded by
Madhyamafinger touching the palm. The rest three fingers should be straight. Same goes
for other hand, and then both hands should be joined together. This is Divyatma aakarshan
mudra which leads an attraction of Divyatmas. This mudra should be applied to practice
for 30 minutes in Bramh Muhurt and 30 minutes before sleeping. Practicing this mudra
results into help from Divyatma in Direct/indirect way to sadhak and clears the way of
sadhana. If sadhak practices this mudra for 11 days with all the regulations of sadhana that
way he receives the blessing of Divyatma in dream and in that condition of dream sadhak
may ask question in regard of sadhana and can seek their guidance.

Sidhhnath dand Mudra:

All Fingers of the Left hand should be folded to palm. Thumb should be straight. Now with

Tantra kaumudi July 2011 71 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

the fingers of the right hand the thumb of the left hand should be hold and the thumb of
the right hand should be straight and up. In this mudra right hand will be on upper side
and left hand will be below the right hand. This is called as siddhnath dand Mudra. While
practicing this mudra, eyes should remain close and concentration should be on navel. The
practitioner of this mudra will get increment in knowledge power, and he becomes
capable to understands many secret of this world by himself, with increasing knowledge
power, he witness many mysterious experiences and many secrets of sadhana gets
revealed in front of him. If this mudra is permanently placed in practice, it generates self to
have so many siddhis.

Manjari Mudra:

The tarjani, anamika and madhyama fingers should be folded in both hands. The first
finger should be straight and thumb should even be straight in its own direction. Now both
the thumb should be applied for touch. This becomes Manjari Mudra. The words for
appreciation are less for this mudra, with practice of this mudra, it lessens the
enchantment of person, and the respect toward sadhana starts to flow. Sadhaka starts
receiving favorable conditions for sadhana, this mudra activates Anand Kosha thus if
sadhak is in whatever material work or task, even though from the inside he will have a joy
and being lost within he becomes part of the divine nature. In fact this Mudra is very secret
because the platform requires for sadhak to perform high level of yog tantra sadhana, this
Mudra prepares the same attributes in sadhak.

Tantra kaumudi July 2011 72 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

मानव जीवन को भािवत करने वाले ९ ह म रा अक मात् घटने वाली घटना का चाहे वो अ छी
ह या फर बुरी का सबसे बड़ा कारक है और काल सप जैसे तथा किथत योग क तुलना म इसका चंडाल
योग कही यादा भयानक है। रा अ यािधक आ य जनक भाव से भरा आ ह है जो क कई गुण
के साथ साथ िविभ दोष से यु है.पाप ह म तो इसका थान ऊपर है ही. चंडाल योग का िनमाण
कै से होता है?......

योितष शा के अनुसार बृह पित पर इसक पूण दृ ी या युित होने पर इस योग का


पूण सृजन होता है . या आपने कभी सोचा है क रा का व प कै सा है......

इस छाया ह का पौरािणक मा यता के अनुसार शीश ही है धड है ही नही,


अब आप ही सोचे क दु बु ही य द ान से भरी होगी तो वह ान बुरे काय के िलए ही यु होगा.
इस कार यह रा स बुि , बृह पित जैसे ान दाता के भाव से ा जातक क बुि को भी उलट कर
रख देता है.और ऐसे म वह िवकृ त ान या अिन नही कर सकता? चंडाल योग के फल व प भा य
हीनता ,मंद बुि ता,असंतोष व घाव क वृि होती है. जातक इस योग के कारण जब भी कसी
मह वपूण काय को संप करने के िलए तैयारी करता है अचानक उसके काय म िव आने लगते

Tantra kaumudi July 2011 73 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

ह.िजससे काय को वो सही तरीके से कर ही नही पाता जब क उसक तैयारी सटीक होती है. बुि को
अपराध क और अ सर करने म इस योग का थान मह वपूण है. यूं क ये योग असंतोष का करक योग है
.और तो और एक साधक य द इस योग का शमन कये बगैर कभी भी अ याि मक उ ता को ा नह
कर पाता , आसन क अि थरता , मं जप म मन का न ल , साधना काल म ग़लत व गंदे िवचार का
उपजना , साधना से मन का उचाट हो जाना भी इस योग का मह वपूण ल ण है. ि अथक यास कर
उ ित क और जाना चाहता है पर एकदम मंिजल के करीब प च कर असफलता क ाि इसी योग के
भाव से होती है .

िम व जीवन साथी के ारा िव ाश घात क ि थित का ये जनक योग है . जीवन म आए


गित के अवसर को न करने का काय यही योग करता है।
इस योग से मुि के िलए सदगु देव से” ह बाधा िनवारण दी ा” और रा क
अनुकूलता के िलए गु िनदिशत अनु ान या चं मौिल र योग को पारद िशव लग पर करने से पूण
अनुकूलता ा होती है और जीवन म नकारा मक अक मात का प रवतन सकारा मक अक मात म हो
जाता है

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The effect of chandal yog

The planet Rahu is biggest karak of any event positive or negative happen in human life.
So called Questionable yoga like “kaal sarp” (we do not believe this yog , reason already
we have discussed) has stand nowhere compare to the “chandal yog” formed by
Rahu . the planet Rahu is having very amazing quality , it has very positive quality and side
by side having same degree of powerful negative quality . in malefic planet list , it stand
on the top position.

But how this “chandal yoga” is formed.? According to jyotish shastra when Rahu directly
aspect to the planet Jupiter or associated with Jupiter in any bhav of an horoscope/ janm
kundli, than this yoga is formed.

Have you ever thought what is the form of Rahu?

According to puranik belief , it has only head no lower portion. Than it can easily be
concluded if evil mind has gyan than that gyan will be used for malefic work only. So
this planet , has a very adverse effect on the person gyan that he has got because of

Tantra kaumudi July 2011 74 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Jupiter, so if having the gyan filled with evil effect, than what wrong cannot be done?.
this yog has some of the common result as.. misfortune, dissatisfaction in life, mentally
retardation, and more chance to meet with accidents etc. the person having this yog ,
when try to prepare for any good work/important one, suddenly facing a lot of
obstruction in his work, so because of that he is not able to do that work correctly or
properly even he has done much preparation already. Moving towards the crime side a
person’s intelligence, is one of the cause of this yoga. Since this yoga a cause of
dissatisfaction . without having the proper shanti or shaman , the person who has this
yog if want to progress on the spiritual field problem like.. lesser sitting capacity on aasan,
not having concentration on mantra jap time, evil or bad thought continuous coming at
the time of sadhana And losing interest in sadhana also some of the effect of this yoga.

Effected person tried very hard to achieve success, but meeting failure on just on the
point of success is a result of this yog. Often getting cheated by own life partner or from
friend also the sign of this yoga.

This yog destroy the chances coming in life for progress or for advancement.

To get rid of all the evil effect of this yog and have success in life , one can have “Grah
Vadha Nivaran Diksha” from Sadgurudev and for getting positive effect of Rahu , person
also has to do anusthan as directed by Sadgurudev or perform “Chandra moulishwar
pryog” on Parad shivling. Than person have more success and in his life sudden negative
change to sudden positive .

Tantra kaumudi July 2011 75 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

दूर से ही िवशाल वटवृ नज़र आ रहा था, जो अपने आप म एक अलग आभा िलए ए था. रा ी का थम
हार ही था और कसी एक काय के िलए मुझे परमहंस िनिखले रानंदजी के
त वा म म पहोचने का और उनके दशन करने का मौका िमला था. उसी वट वृ के िनचे एक अ यंत ही
िवशाल आसन पर सदगु देव िनिखले रानदजी अपने पूण प म िवराजमान थे. सामने कु छ िश य गण भी थे
जो क अ यंत िवन ता से बेठे ए थे. उनसे दसेक कदम दूर म खड़ा आ और नम कार कया, ल बी
जटाए, सुग ठत शरीर और उनका तेज ी मुखमंडल, द गंध से ओत ोत स मोिहत करता आ वातावरण,
वे कु छ स यासी गु भाइयो को िनगद ार के बारे म बता रहे थे...तभी न जाने कहा से धू का एक गु बारा
सा कट आ. सदगु देव ने उसे हाथ म िलया और अ यािषक आ य के साथ मेने देखा क वह उस धू को
अपने हाथो से आकार दे रहे हे, जेसे कोई कु हार अपने हाथ म िमटटी लेके उसे मनचाहा आकार दे देता
हे ,उतनी ही या यु क क उससे भी कही अिधक सहजता से वह धू उनके हाथो म गोलक के
प म पराव तत हो गया. कु छ देर बाद उ ह ने उस गोलक को ख चना शु कया और कोई र बर क तरह
वह ल बा से ल बा होता गया और कु छ अंडे के आकर का दखाई देने लगा. ले कन उस के िबच म कु छ अजीब

Tantra kaumudi July 2011 76 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

सा खचाव आ गया था और धू के उस गोलक म िसफ कनारा ही जेसे धू का रहा हो और बाक अ दर का


भाग कु छ अलग ही रहा था. कु छ ही ण म वह ३-४ फ ट का हो गया तो हमने देखा क धू क एक इं च
कनारी के अलावा अ दर जेसे पूरा एक भूभाग बन गया हे जब क वह हर तरफ से मा १ इं च से यादा मोटा
नह था पर दूर से ही उसमे सेकड़ो फ ट का रा ता दख रहा था, उससे भी आ य यह था क वह कभी
लाल, कभी सुनहरा तो कभी नीला तो कभी कोई अलग ही रं ग का दीखता या फर एक साथ कई रं ग. बड़ा ही
िविच य था. तभी सदगु देव परमहंस िनिखले रानंदजी ने सबको संबोिधत करते ए कहा क यही वह
िनगद ार हे िजसक म चचा कर रहा था, यु इसका िनमाण कई तरीको से हो सकता हे ले कन तुम सब को
मेने धू िव ानं के मा यम से इसका िनमाण कर के दखाया हे, अगर कोई ि अपने मन से कसी भी थान
पर जाने क इ छा रखते ए इसमे वेश करे तो त ण वह इसमे वेश के साथ दूसरी तरफ ठीक वही थान
पर िनकलेगा जहाँ उसे जाना हे...इसका उपयोग िस योगी सू मजगत से लेके अ य
कसी भी लोक म वेश करने के िलए करता हे, साथ ही साथ अपना काय समा करने पर वह उसी तरह
िनगद ार म वेश कर के अपने थान पर वापस आ जाता हे और इस अविध तक उस िनगद ार का अि त व
बराबर बना रहेगा. एसे कई िनगद ार पृ वी के अलावा अ य लोक म थायी प से हे िजसका उपयोग िसफ
िस ो के ारा ही संभव हे, इतना कहके उ ह ने अपने एक स यासी िश य को अपनी
उं गली से इशारा कया. वह स यासी आगे बढे और ३ - ४ फ ट ल बे और महज १ इं च चौड़े उस िनगद ार म
धीरे से वेश कर गए जब क आ य यह था क वह दूसरी तरफ दखाई नह दे रहे थे ,...गु देव ने कहा क वह
द लोक म घूमने गया हे, वह आ जाए उसके बाद एक एक कर के अ दर जा के देख लेना. इतना कहके उ ह ने
सीधे मेरी तरफ ताका म तो अभी जो भी देखा वह नशे म ही था..जब वह हलके से मु कु राये तो
मुझे होश आया और मेने वही से खड़े खड़े उनक अ यथना म दंडवत कया, ज द ही उ ह ने मुझे स देश दे
दया जो मुझे पहोचाना था.समय बहोत कम था , म उ ह नम कार करके वापस लौटने के िलए पीछे मुडा, न
चाहते ए भी एक ि उस ार पर पड़ ही गयी वह अपनी जगह पे शू य म ि थर था और वह स यासी जो
उसमे वेश कर गए थे वे बहार आ रहे थे और दुसरे स यासी उसमे वेश करने वाले थे...म
सोचता आ चल पड़ा क हम कतने तु छ और बेपरवाह जीवन को जी रहे हे यूँ क जो हम जानते हे वह
मा हमारे जानने का म हे, ान अनंत हे जो क िसफ सदगु के चरण म बैठ के ही िमल सकता हे

खैर, कु छ
दन बाद एक और घटना इसी सबंध म देिख.
आओ, कु छ दखता इतना कह के राघवदास बाबाजी आगे बढ़ गए,म ठीक उनके पीछे चल रहा था, उनके
साथ चलना मेरे िलए गव क बात रही हे, सदगु देव के वे व र स यासी िश य हे और सदगु देव के आदेश से
ही उनसे िमलने का मौका िमला था. कु छ िमल घनेजंगले म चलने पर एक

Tantra kaumudi July 2011 77 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

जगह वह के और कु छ जािड़याँ हटाते ए वे कु छ कदम आगे बढे,वहा पे एक बहोत बड़ी पहाड़ी च ान से सट


के चारो तरफ से िवशाल वृ से िघरी ई एक कु छ १० फ ट करीब ल बी और उतनी ही चौड़ी सपाट जमीन
थी, मुझे उसमे कोई खास िवशेषता नज़र नह आई मगर वहा पे कु छ यादा ही उजा का अनुभव दूर से ही हो
रहा था. बाबाजी ने कहा क यह एक िनगद ार हे िजसका िनमाण मेने सदगु देव के आदेश से कया हे,
यहाँ के आसपास के िस इस िनगद ार का उपयोग कया करते हे िजससे उनक गित पृ वी के अलावा ने
लोक म भी बनी रहती हे और कई गु आ म, अ य आ म व् सू म आ म म त ण पहोचने के िलए इसका
उपयोग होता आया हे....म आ य से उनक और देख रहा था, उ ह ने कहा क तेरी इ छा एसे कोई िनगद ार
को देखने के िलए थी जो थायी हो इस िलए तुजे दखा दया वना यह अ यंत
गु हे और इसका ान यादा कसीको नह दया जाता. वहा पे कु छेक दूर एक स यासी थे उ ह ने बाबाजी
क और देखा और नम कार कया, मुझे एसा लगा जेसे कु छ देर उनमे मौन वातालाप चला और उसके बाद
बाबाजी ने मेरी तरफ देख के कहा चलो अब चलते हे...मेने जब पीछे मूड के देखा तो वह स यासी िनगद ार
क तरफ जा रहे थे और जेसे ही वे वहां खड़े रहे, एक ण म ही वे अ य हो गए. म कु छ बोला
नह तभी बाबाजी ने कहा क वह िस ा म गया हे....मेने और कु छ पूछना उि त नह समजा बस मु कु राता
रह गया

एसे कई िनगद ार का िनमाण न तं से भी आ हे और कु छ एक िसतार के िबच म वह


िन मत होता हे... हांड म एसे कई िनगद ार हे. कहने के ज रत नह क िस मंडली के स य वायु गमन
करते ए एसे िनगद ारो का उपयोग िवचरण करते ए आज भी करते हे. िनगद ार अ यंत ही गु रहते हे
और इसके बारे म िववरण देना गु ता क मयादा को भंग करना हे इस िलए इसका यादा िववरण यो य नह .
वेसे राि काल म चमकते िसतार को देख के कौन बता सकता हे क
इसके िबच म वह रा ता भी हे जो सू म जगत म वेश दलाता हे जहा से िवि भ लोको क या ा ारं भ
होती हे...
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the big banyan tree was visible from far away, which was having its own glow. the first
face of the night was just begun and with an task I did received chance to visit
Paramahansa Nikhileshwaranand and his divine Tantvashram. under the same tree,
Sadgurudev Nikhileshwaranand were seated in his immortal form. there were few
sanyashi disciples in front of him seated in very disciplined way. about 10 feet far, I
made my self stand and bowed to him. Sadgurudev were giving knowledge about

Tantra kaumudi July 2011 78 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

nirgad dwar to those shanyasi Gurubrothers....and at the same time do not know from
where a balloon like ball of smoke appear. Sadgurudev took that in his hand and with
so much surprise of mine he stared moulding that smoke. with the same comfort or I
say more than the comfort a potter can give a shape to clay, he made a round shaped
of it. after a little time he
started stretching that round shaped smoke and it went to be long and more long like a
rubber and it was being in egg shape now. but now in-between the smoke the stretch
was visible and now the smoke was visible at outer rim of the shape only and the rest
part was something different. om few seconds, when it became 3-4 feet long, we seen
that apart from a small layer of smoke at rim, the rest of the internal part had became
like a long territory. where as it was not thick more than 1 inch, but hundreds feet of the
way was clearly visible in it, the more surprise was that the tunnel used to turning the
colours from red, golden, sky or some times many at a time instantly. it was really a
very strange scene, at that time only, addressing all, sadgurudev paramahansah
nikhileshwaranandji told that this is Nirgad Dwar about which I had discussed. the
making may differ with many processes for the same but I sawed you all the process
through Dhumra Vigyana.
If any one enters to this with a wish to go on any place in mind, in that condition at the
same moment on the other side, he will reach to the same destination he wished for.
Accomplished Yogis uses it to enter in Sukshma Jagat to any other world, with this,
after
compliting his task enters into the same and come back at the same place. meanwhile
the task, the Nirgad dwar stays in same position. Such many Nirgad dwar are
permenently exists in prithvi loka and others, the use of the same is only possible
through accomplished yogi. by telling this, he made a point to his one of the shanyasi
disciple. Shanysi went ahead and entered into that 3-4 feet long and 1 inch thick nirgad
dwar and the real surprise was that on the other side of the same nirgad dwar he was
not visible. Gurudev said “ he went to see Divyaloka, when he returns one by one every
one of you go in and see “. by saying this he looked direct into my eyes, i was still

Tantra kaumudi July 2011 79 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

intoxicated by whatever I seen... when he smiled, I came to conscious and from the
place I was standing I bowed down to him. soon he gave me a message which I was
suppose to make reach. time was too less to stay anymore. I again bowed down to him
and went back to walk. with having a
will not to watch, loosing control, my eyes went to that Nirgad dwar, it was in the same
position in air and the Shanyasi who entered in that were coming back from it and
another Shanyasi were ready to enter, I went wondering that How trivial and unrequited
life we lives because the knowledge we have its just a mistake of being knowledgeable,
knowledge is infinite which could be gain only by sitting in feet of Sadguru.

anyways, after somedays I came in contact with other incident in the same
regards.

Come, I will saw you something, by telling this, Raghavdas babaji went ahead, I too
went behind him, it was proud to walk with him, he is one of the superior Shanyashi
disciple of sadgurudev and with sadgurudev’s ordor I was able to have chance to meet
him. walking through dark forest for some miles, he stopped at one place. and by
removing some plants he went a bit ahead. there was a flat land of 10 feet long and of
same wide accompanied by attached big rock hill and big trees around. I didnt
found anything special about it bur I felt the big energy level from far. Babaji said that
this is a Nirgad dwar which I prepared with gurudev’s order. the Siddha yogi of nearby
uses this nirgad dwar through which keeps them in touch with other lokas apart from
Prithaviloka and they even use this to reach at many secret aashrams, invisible
aasrams and sukshma aasharams. I was looking at him with surprise. he said that your
wish was to watch a permenent nirgad dwar that is why I brought you here other else
this is secret and the knowledge in this regards is not shared much. there were another
sanyashi a bit far who bowed to babaji, I felt like both are doing silent talk and after that
at looking to me babaji said that let us leave. When I turned back and looked ,the
shanyasi were going towards nirgad dwar and as soon as he stood there, at very next
moment he became invisible. I didnt spoke anything but then babaji spoke that he went

Tantra kaumudi July 2011 80 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

to siddhashram. I
didnt felt of asking anything more. just kept smiling.
such so many Nirgad dwars are even ment with Nakshatra Tantra and it is built in
between stars. there are many such nirgad dwar exist in universe. it is needless to say
that the accomplished of siddhamandali by roaming into sky, flying, even till date uses
such nirgad dwar. Nirgad dwar stays secret and to disclose more about it is not good.
anyway, in the night, looking at the stars who can say that, they even contains a way
which is path to enter in Sukshma Jagat from which the journey to different worlds
starts

Tantra kaumudi July 2011 81 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

साबर म क संशा तो हर जगह आई ह इन द मं ो का तो या कहना, गो वामी तुलसीदास जी


ने भी राम च रत मानस म इन म के अनमेल योग ओर भाव क मिहमा गायी ह, यहाँ तक क
जब वह अपनी हाथ के दद से बुरी तरह पीिड़त हो गए ओर कसी भी कार के इलाज से
उ ह राहत नह दखाई दे रही थी तब उ ह ने एक पूरे थ का ही िनमाण साबर म क भाषा के तरीके से
भगवान् हनुमान जी क तुित के प म कया और वह अपनी इस तकलीफ से मु ए.

यह तो िनि त ह क इन मं ो का कोई तोड़ नह , इनक ती ता का कोई सानी नह , भाव क कोई सीमा नह


, क अनिह संभव हो सकत ह ओर जीवन के कस िवषय को ये नह पश नह करते ह सदगु देव जी एक
थान पर कहते ह य द दो या तीन कार से कोई एक साधना संप हो सकती ह तो हमेशा साबर साधना के
तरीके को ही चुनना चािहए य क ये ही तरीका सबसे े होता ह .

मने कई बार इन म के बारेम पढ़ था ,सदगु देव जी ने अनेक बार इनके िवषय म समझाया था पर म तो
महािव ा साध ना या अ य साधना म ही िच रखता था, साबर साधना पर कोई िवशेष यान नह था.

उसी दौरान एक बार म दांत के दद से बुरी तरह पीिड़त हो गया , कतने इलाज करवाए पर कोई िवशेष लाभ
नह होता दख रहा था , आप मसे जो दांत के दद के भु भोगी कभी रहे ह वह वयं जान सकते ह , ट
कै नाल सजरी के बाद भी कु छ िवशेष लाभ नह िमल पाया .

Tantra kaumudi July 2011 82 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

तभी मुझे अचानक सदगु देव जी क एक बात याद आई कजब कभी ता कािलक प रि थित म लाभ ा
करना हो तो एक दम से बड़ी साधन ारंभ करना वैसा ही ह जैसे क िसरदद को दू र करने के िलए पूरा मेिडकल
शा पढना चालू करना जहाँ मा एक गोली से काम हो सकता ह तो बड़ी या य .

यह याद आते ही मने एक जगह दांत के दद से स बंिधत मं देखा िजसम असर तो अछू क िलखा था पर िस ह
करने क कोई िविध ही नह थी, अ यंत ही सरल या थी. उस िविध को म ने ारं भ कर दया . मं दो दन
के अ दर ही दद सामा हो गया तब से आज तक कभी दद फर से लौटा नह , पर कभी स भावनाये दखी तब
इस म अक थोडा सा जप ने पुनः दद आने क स भावनाये ीण कर दी .

िविध इस कार ह

भोजन करने के उपरा त हाथ म जल लेकर इस मं को सात बार पढ़े फर इसी अिभमंि त जल से कु ला कर
ले, सात बार कर ओर आप इसी कया को ित दन कर , आप इस मं के चम का रक प रणाम देख कर आ य
च कत हो जायगे.

काहे रिसयाए हम तो ह अके ला , तुम हो ब ीस बार हमजोला,


हम लाये तुमबैठे खाओ , अ तकाल म संग ही जाओ ..

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My First experience with Sabar mantra
On many places the importance of theses sabar mantra expressed in many ways
and its quite natural that what can be said about theses great mantra. Goswami
tulsidas ( the writer of shri ram charit manas) also expressed the greatness,
important of thses mantra in which combination of various various word often
does not create any straight meaning, but truth still lies, even once goswami ji
had a very high pain in his arm he tried all the way but pain was still there, at that
time a wrote a complete book named “Hanumaan bahuk” , and after that his pain
totally vanished, what is the special point on this book , actually if one goes that
book find that all book has been written like a sabar mantra style and on various
place Bhagvaan hanuman has been remembered and asked to remove the pain,

This is sure that there is no equal of theses type of mantra in term of effect and
simplicity. There is no limitation of theses mantra they touch every aspect of life.

Tantra kaumudi July 2011 83 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Sadgurudev ji always stated that if any sadhana can be done two or three ways
than always try to choose the way which is sabar related

I have read many times on theses mantra off course through our patrika (mantra
tantra yantra vigyan .) Sadgurudev rapidly spoke on many occasion on theses
mantra sadhana, but my aim towards mahavidya sadhana and other sadhana I
never pay much attention on this type of sadhana. In those days I was caught in
grip of intense toothache. I tried various treatment as per mine capacity but no one
were producing the result as I thought. Those many of you have ever toothache
already knew the pain and inconvenience of this pain. even root canal surgery
produce the result as I thought.

Suddenly I remembered one word of Sadgurudev ji that when you want sudden
relief in any situation than to start a big sadhana is like for to remove headache
one start reading medical science book , where a single tablets produce the result
than why study about big complex process.

I just search a mantra for removing toothache I found a mantra for that is had
been written that this is very a effective and there was no method to get siddhitt.
Process was very easy. I tried that within two days al the pains has been gone. Till
that nor come back, whenever i found I s there any chance of returning that I
simply repeat the process .still I am safe.

Process:

After taking any meals , take water in hand and just repeat the seven times this
mantra and wash your mouth from inside .repeat this process seven times in one
go. And see the result your self.

“Kahe risiyaye ham to hain akela tu m ho battis baar hamjola

Ham laye tum baithe khao, antkaal main sang hi jao ..”

Tantra kaumudi July 2011 84 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

उस गुफा म बैठे बैठे म देख रहा था अपने सामने जल रही लकिडय को. कै से और य आना आ
यहाँ आिखर कससे मुलाकात होनी है कु छ भी अंदाजा नह बस सदगु देव के कहने पर ही उनके आशीवाद से पहोच गया
म...कु छ ही देर म होने वाली थी यहाँ पे िस साधको क एक मुलाकात या यु कहा जाए क तांि क स मलेन, ले कन
अभी तो यहाँ पे कोई नह है, म अके ला अपने आप म खोया आ बैठा था कभी कभी नज़र भर के देख लेता था उस लंबी
चौड़ी गुफा म चारो और. पता नह कतना समय हो गया था और तभी एक तरफ से कोई दु बला पतला संयाशी आया मेने
उसे रोक के कु छ पूछना चाह ले कन उसने खामोश रहने का इशारा करते ए एक तरफ को िनकल गया या यु क क
अ य ही हो गया... या क यही सोच म बैठा रहा थोड़ी देर और फर से देखने लगा उस आग को...और कु छ था भी तो
नह उस पूरी गुफा म...तभी अचानक मुझे लगा क जेसे कोई मेरे पीछे खड़ा है, मेने पीछे मुड के देखा तो आँखे फटी क
फटी रह गयी...लगभग सादे छे फू ट का भरी भरकम कद...जटा एसी क मजबूत रि सय को पर पर गूँथ दया हो..गले म
कु छ माला पहनी यी सी जो कस पदाथ क थी म जान नह पाया...पूरा शरीर िनव आँख के डोरे लाल..चेहरे पर
लािलमा िलए ए गोरापन उ त ललाट...एक गजब का आकषण था उस स याशी म क म देखता ही रह गया..कु छ सोच
िवचार करने क किचत भी शि नह रह गयी थी...भले ही उनका प अ या दक डरावना था ले कन उनके चेहरे पर
गजब क सौ यता छाई यी थी...मेरे कं धे पर हाथ रख के वे किचत मु कु रा दए...म समज गया क यही है मुझे यहाँ
भेजने का उ े य...वह ि थे साधको म िव यात कापािलक िशवयोग यानंदजी...इस ि व के बारे म तो यहाँ तक
मस र हे क इ होने कापािलक माग से वे िसि या ा क है िजनके बारे म साधक क पना भी नह कर सकता. यहाँ तक

Tantra kaumudi July 2011 85 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

क उ ह ने वाम माग से धूमावती साधना िस क हे जो क अ यिधक दु कर है िजसे िस करने पर साधक को पनु य


िसि ा होती है, पल भर म वह अपना प जू चाहे वैसे बदल लेता है...उ ह ने मुझे अपने पास बैठाया. उस दन उनसे
साधनाओ के बारे म काफ िव तार से बात ई. थोड़ी देर बाद उ ह ने प प रवतन का एक योग कर के भी दखाया,
एक ण मा म वह एक िवदेशी युवक के प म मेरे सामने पराव तत हो गए, उ ह ने न िसफ अपने ुशुत भी हटा िलए,
कद छोटा कर िलया, उ तो अ यिधक कम हो ही गयी थी, वण भी थोडा गोरा हो गया था, तथा कपडे भी कु छ पि मी
स यता के आ गए थे उनके शरीर पर और ये सब आ मा एक ण म...भौच ा सा देखता रह गया म...िन य ही यह
महान ि व है इसमे कोई दो राय नह ...उ ह ने बताया क के से सदगु देव िनिखले रानंदजी ने उनको साधना मक
सहयोग दान कया था और वे जो भी हे उनमे िनिखले रानंदजी का बहोत बड़ा योगदान है... बाते होती रही और कब
मेरा समय समा हो गया पता ही नह चला...कु छ ही देर म यहाँ िस ो का जमावड़ा होने वाला था...तभी एक युवक
स याशी ने अंदर आके कहा क माँ आने वाली है साथ म वामीजी भी पधारने वाले है...म समज गया क अब मेरा जाने
का समय है..गुफा ार तक वे मेरे साथ चले तब तक उ ह ने अपना प वापस स याशी का कर िलया था...ऐसे महान
ि के पास अ य भंडार था साधनाओ का...साबर साधनाओ म भी वे िस ह त रहे हे...उ ही के ारा दान कु छ
साबर साधनाओ को म यहाँ तुत कर रहा ...

मतभेद नाशन साधना:

गृह थ साधको के िलए मेने जब कोई साधना के िलए ाथना क तब उ ह ने यह योग बताया था. इस साधना के
अ तरगत अगर आपका कसी के साथ भी मतभेद हो गया हो चाहे पित प ी िम ेमी ेिमका या फर आपके काय े
म, तब साधक को इस साधना को करना चािहए.

इस साधना के िलए एक िशयार शगी क ज रत रहती है, अगर िशयार शगी उपल ध न हो सके तो साधक वटवृ का
प ा ले, ले कन कोिशश यही रहे क योग िशयार शगी पर ही कया जाए. अपने सामने एक थाली रखे उसमे इि छत
ि का नाम काजल से िलखे. उसके ऊपर िशयार शगी थािपत कर ले अब उस पर गुलाब का पु प चढ़ाये और किल
हक क माला से िन मं क राि म १० बजे के बाद २१ माला मं जाप करे. इसमे दशा उ र रहे, व आसान लाल
रहे. इस साधना को कसी भी वार से शु कया जा सकता है.

मं : कािलके माता मोरी कर भलाई का काम जीवे राखो जीवे चाखो करो दू र ठूं

यह म ७ राि तक िन य करना है.

७ दन बाद जब आप उस ि के सामने जाए तो मन ही मन इस मं का उस ि के सामने ७ बार उ ारण करना है.


प रि थितया अनुकूल हो जाएंगी.

साबर मं ो म श द के मतलब पर यान नह दया जाता वरन उसका भाव देखा जाता है. इस योग को गु प से
कया जाता हे तथा योग कर लेने के बाद भी इसका उ लेख कभी कसी के सामने नह कया जाना चािहए.

श ु बाधा िनवारण योग:

Tantra kaumudi July 2011 86 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

अगर जीवन म कोई श ु परेशान कर रहा हो तो यह योग को अजमा लेना चािहए. यह योग अ यिधक भावशाली है
और श ु को दू र कर देता है

इस साधना को साधक अमाव या क राि को स पन करे. यह उ योग हे, साधक को भयंकर आवाजे भी सुनाई दे
सकती है, अतः साधक अपने मता के अनुसार ही इस योग का चयन करे. साधक को राि म ११:३० बजे का बाद यह
योग आरंभ करना है, इस योग म दशा दि ण रहे. व काले रहे तथा आसान मशान भ म का रहे.

अपने सामने एक तेल का दीपक लगाये जो क साधना पूण होने तक जलता रहे. इसके बाद िन मं क ५१ माला जाप
उसी राि म स पन हो जिन चािहए

ॐ भैरव अमुक श ु उ ाटय मम र ा कु म नमः

इसमे अमुक क जगह श ु का नाम लेना है. इस साधना म किल हक क माला का उपयोग होता है, साधना के दू सरे दन
माला को नदी म िवस जत कर दे, यह मा एक राि का ही योग है.

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Adbhut maha siddh Shivyogtryanand ji


( two very important from his blessing )

While sitting in that cave I was watching the wood sticks burning in front of me. How and why I

came here, whom I was suppose to meet, there was no idea just with words of sadgurudev

seeking his blessings I went…in a very short time it was about to occur a meeting of

accomplished Sadhaks here or in other word Tantrik Sammelan, but at present no one is here, I

was all alone sitting there lost in myself. Sometime was used to look at the long wide cave. Was
not aware how long the time passed and at the same time a thin sanyashi came from one

direction, I tried to stop him and ask something but he gestured me to stay quiet and went to
other direction or let say he went invisible…

With wonder what to do I set there for some more time and kept looking at the fire…elsewhere

nothing was filled in that cave…the same moment I felt that someone is standing behind my

back. When I looked back, my eyes went wide in shock…a heavy body of almost 6 and half

foots…Jata was like strong ropes are bounded together…a rosary around a neck made of

something which I was unable to identify…full naked body, red eyes…a very fair complexion of

Tantra kaumudi July 2011 87 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

skin…impressive forehead

There was a big attraction in that Sanyashi that I kept looking at him. There was no more power

to think and understand…though he was looking terrible but on his face there was Apparently

dominated beauty…famous among sadhaka, the man was Kapalika Shivyogatrayanandji….It is

famous about this personality that he received such accomplishments through Kapalika Marg

which sadhak even cannot imagine. Even that he accomplished Dhoomavati sadhana through

Vam Marg which is extremely difficult after which Sadhaka receives Rupanurupy Siddhi, in a

moment he can change is form to anything. He let me seat near him. That day the talk went in

detail for the sadhanas. After sometime he even demonstrated a form changing, in a moment he

changed his self to an foreigner young guy in front of me, he not only removed his beard, height

went small, age went too down, the completion of skin went more glowing, even cloths too

becomes of western tradition on his body, all these in just one moment…I went stunned looking

all these…for sure he is great personality, there needs no other opinion…he told me how

Sadgurudev Nikhileshwaranandji provided co-operation and help in sadhana field..and whatever

he is today, there is a very big share of contribution by Nikhileshwaranandji…talks went and I

didn’t noticed that my time was about to over…in a short time here was about to occur meeting

of Siddha…and that time only a young Sanyashi entered and said that Mother is about to come,

along with Swamiji is also coming. I understood that it is time for me to leave..he came along

with me to the gate of cave, till that time he made is form to actual his sanyshi form…such noble

personality was having Renewable stores of sadhana inside him…in sabar sadhana even he
remained proficient…I am presenting some of the sadhanas here given by him only…

Sadhana to remove disputes:

When I pray him to give sadhana for Gruhastha people for their material needs at that time he

told me about this ritual. In this sadhana, if anyone have dispute with anyone rather with

wife,husband, friend or loved one or else in your workplace even, at time sadhak should do this
sadhana.

Tantra kaumudi July 2011 88 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

It is require to have Shiyarshingi for this sadhana, if in case Shiyarshingi is not available sadhak

should take leaf of banyan tree, but better if one try to get Shiyarshingi and do prayog on it.

Place a dish in front of you. Write a name of desired person on that plate with soot. Place

Shiyarshingi on the name. Now place a rose on it and with black hakeek rosary chant 21 round

of the following mantra after 10’o clock in night. Direction should be north, cloth and aasan
should be red. This sadhana could be start on any day.

Mantra : kaalike mata Mori kar Bhalai ka kaam jive raakho jive chakho karo door thoom

The process should continue for 7 nights.

After 7 days when you go in front of the desired person chant this mantra 7 times in your mind.

Conditions will become favorable.

In shabar mantra one should not concentrate on meaning of the words but should watch the

power of the same. This prayog should be done secretly and after prayog even one must not
disclose it in front of anyone.

Sadhana for the prevention from enemy:

If enemy is troubling in the life, one should try this sadhana. This prayog is very impressive to
remove enemy.

Sadhak should do this sadhana on night of Amavashya. This is Ugra prayog, sadhak may hear

scary voices during sadhana; thus, sadhak should select this sadhana according to his capacity.

Sadhak should start this prayog after 11:30 in night, in this prayog, direction should be South.
Cloth should be black and aasana should be of Smashan Bhasm.

Light lamp of oil infront of you which should kept burning till the sadhana time. After that chant
51 rosary of the following mantra which should be completed in same night.

Aum Bheirav amuk Shatru Uchchaatay mam rakshaa kuru me namah

Tantra kaumudi July 2011 89 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

In this sadhana one should chant name of enemy at the place of ‘Amuk’. In this sadhana, black

hakeek rosary is brought into use, after the sadhana on second day one should drop rosary in
the river; this is one night prayog only.

Tantra kaumudi July 2011 90 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

आज, जगत के आ या म म भारतीय िस णाली क एक मह वपूण भूिमका है. साधना जगत म इसे आ य ही कहा
जाएगा अगर कोई साधक ९ नाथ व् ८४ िस ो के बारे म नह जनता हो. ९ नाथ वह ारंिभक ि व है िज ह ने साधना
क उ तम ि थित को ा कया था और अघोर वाम कॉल साबर और योग के िवशेष साधना मक ान का चार कया
था.भगवान द ा ेय के आशीवाद से वे साधना े म नए मं ो क रचना करने म समथ थे और इसी तरह उ ह ने करोडो
साबर मं ो क रचना क जो क सं कृ त भाषा म न होते ए सामा यजन भाषा म थे. िजससे सामा य ि भी सफलता
को ा करने लगा जो क उ ह पहले उ ारण दोष क वजह से नह िमल पाई थी. इस तरह ९ नाथ ने अपना काय पूण
कया, चूँ क वे मनु य योिनज नह थे, वे आज भी उनके मूल शरीर म िव मान है और आज भी कई साधको को सशरीर
आशीवाद देते है. ८४ िस ो के िलए भी यही मा य है. ८४ िस िजसमे कई िस नाथ का भी समावेश होता हे वह वो
मंडली हे जो क सबसे उ तम साधना मक ि थित को ा साधको क मंडली मानी जाती है जो क तांि क व् यो ताि क
साधनाओ म िन णांत है, उनमेसे कु छ रसायन म भी िस ह त है. इन महान िस योिगयो का आशीवाद लेना व् उनसे
साधना के े म मागदशन लेना कसीभी साधक का सव भा योदय व् एक मधुर व सामान है.

इस िवषय म एसी कई साधना हे जो साधक क इस इ छा को पूण करे. ले कन यह क रये बहोत ही कठोर और समय लेने

Tantra kaumudi July 2011 91 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

वाली होती हे फरभी साधको क मन क छह होती हे एसी साधनाए करना. फर भी इन कठोर साधनाओ के म य भी एक
ऐसी साधना हे जो सहज हे अगर इसे दू सरी साधनाओ के साथ देखा जाए तो और यह साधना साधक उन महान ि व के
आशीवाद ा करने क अपनी महे छा को पूण करा सकती है. यह साधना को मेने सदगु देव से ा कया था.

साधना के िलए साधक के पास एक अलग कमरा हो िजसमे दू सरा कोई भी ि वेश न करे. इस साधना म कठोर
िनयम का पालन करना पड़ता है.

हचय पालन अिनवाय है

भोजन म एक समाज फलाहार िलया जा सकता है, दू ध कभीभी ले सकते है. साधक को और कु छ भी हण नह करना
चािहए

साधना काल म साधक कोई भाई सन जैसे क म दरा या त बाकू का युअग कर दे


साधना काल म ोरकम न करवाए

साधना क का फश गोबर से िलपा आ हो

आसान और व पीले रंग के हो. दशा उ र हो.

अपने सामने पूजा थान पर एक सुपारी रखे, यह िस का ितक है. इसका िनयिमत पूजन करे. भोग म िमठाई का उपयोग
कर सकते है. ताजे फू ल ही उपयोग म लाए.

अखंड दीप विलत करना है जो क पुरे साधना काल दरिमयाँ जलता रहे.

राि म ९ बजे के बाद फ टक माला से िन मं का जाप करे

ॐ कट िस अमुकं य आण महादेव क

अमुकं क जगह इि छत िस के नाम का उ ारण करे

कु ल १,२५,००० मं जाप होने चािहए िजसे २१ या कम दन म पूरा करना है. मं जाप क सं या रोज एक ही रहे.

साधना के अंितम दन िस सशरीर य होते है और इ छापू त का आशीवाद देते है.

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Nath Siddh Praytkshikaran Sadhana


The siddha tradition of india is one of the major role play in the spiritualism today. In sadhana

world, it would be surprise if someone is not aware about Nav Nath and Chaurasi Siddha. The 9

nath are the very basic people who were able to attain highest spiritual levels and spread

knowledge of very special sadhana of Aghora Vaam Kaul Shabar and Yoga too. With the

Tantra kaumudi July 2011 92 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

blessings of lord dattatrey they were able to create new Mantras in this field and this way they

created billions of sabar mantra which were not in the Sanskrit language but in the simple

household language. So, the common people were able to have success which previously

weren’t able due to pronunciation mistakes. This way 9 nath completed their task, as they were

not born through human form they are still alive in their actual form and many of the sadhak

receives their blessings bodily even date. Same goes for 84 siddhas. The 84 siddha though

including some very accomplished nath even, are the group of sages who are believed to be one

of the very highly Spiritually accomplished groups of the sadhaka who are accomplished in tantric

and yog tantric sadhanas and some of them are highly accomplished in rasayana too. To seek a

blessings and to have guidance in the field of sadhana from such great yogis are surely rise of the
highest fortune and dream of many sadhaka.

There are many sadhanas which can let sadhaka achieve their goals in this regards. But the

processes are really tough and time taking; still people wish to do such hard sadhanas. Even

though in between these tough sadhana, there is a process which is easy in nature if we compare

it to other processes and is able to fulfill the desire to get blessings of such great personalities
which I received from sadgurudev.

For the sadhana one must have a separate room in which no one should enter except sadhak.
There are strict rules need to be followed during sadhana.

Bramhacharya is must.

The fruit could be taken as meal once in a day. Milk could be taken anytime. Sadhak must not eat
anything else

All the addiction like wine, tobacco should be left till the sadhana time period

No hair trimming or shaving is allowed during sadhana period.

The floor of the sadhana room should be applied with cow dung

Tantra kaumudi July 2011 93 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Aasana, cloth should be yellow in color. Direction is north

Place a betel nut in worship place; this is symbol of the siddha. Do the regular poojan of the
same. In Bhog sweet could be offer. The flower for offering must be fresh.

Akhand lamp should be light which must continue till the end of the sadhana period.

At night time after 9 one can chant mantra with sfatik rosary.

Aum prakat siddh amukam pratyaksh aan mahadev ki

At the place of amukam chant the name of desired siddh.

One needs to do 1,25,000 mantras, which should be completed in 21 or less days. The mantra

jaap should remain in same count daily.

One the last day the sidhh will come bodily and bless with granting a wish.

Tantra kaumudi July 2011 94 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

सृि अपने आपम अनंत रह य को अपने आपम समाये ए हे. जो भाग हम अपनी आँख से देख रहे हे वह तो मा एक बूँद
ही हे जो इस महासागर का एक अ यिधक यून िह सा हे. िजस कार दू ध म धृत होता तो हे ले कन वह सामा य अव था म
दखाई नह देता ठीक उसी तरह इसी थूल जगत म समािहत हे कई जगत और यु कहा जाए क अनंत जगत और अनिगनत
रह य. यु तो सू म जगत साधको के म य चिलत रहा हे ले कन जब साधक सू म जगत म िनगद ार से वेश करता हे और
जेसे जेसे अ यास बढाता जाता हे, आगे क ज टल याओ के मा यम से वह जगत भेदन म सफलता ा कर लेता हे. यु
मेने भी परमहंस वामी िनिखले रानंद जी से सू म जगत से आगे के कई रह य समजे. िजसमेसे एक था मनोमय जगत

मनोमय जगत का आधार सू म जगत क अंितम अव था द तम जगत और माया जगत के म य ि थत हे. इस कार यह
जगत अपने आपम कई कारणवश अ यिधक मह वपूण हे. इस जगत म वेश के बाद साधक को अ यिधक मह वपूण
साधनाओ का ान दया जाता हे जो क अ यिधक सहज ही होती हे ले कन उसका भाव अचूक होता हे. दू सरी ओर ये
साधनाए इस कार से िन मत होती हे क वह सहज यास म ही साधक को सफलता दान करने म समथ होती हे.

यह जगत क सबसे बड़ी िवशेषता यह हे क मनोमय जगत अनंत मन से जुड़ा आ होता हे तथा मन ही के ीभूत होने से
इस जगत क गित मनोमय ही होती हे. यु इस जगत म साधना करने पर साधक अपने मन क गित से साधना समा कर

Tantra kaumudi July 2011 95 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

सकता हे यु एक ण म वह चाहे तो सेकडो साधनाए भी स पन कर सकते हे. इस िलए अ यिधक कम लौ कक समय म ही


ि साधना स पन हो सकता हे. यह याए इतनी सहजभी नह हे. इस याओ को मा सदगु देव के चरण म बैठ
कर ही समजा जा सकता हे.

मनोमय जगत क अलौ कक और िविच साधनाओ म सभी कार क साधनाए समािहत होती हे. चारो तरफ िबखरा आ
शु व छ काश, मन म िजस भाव या िजस िवचार को उ पन कया जाता हे वह तुरंत थूल प धारण कर लेता हे. इस
कार के द जगत क साधनाए कतनी मह वपूण होती हे वह तो िसफ अनुमान ही लगाया जा सकता हे. सदगु देव
िनिखले रानंदजी क कृ पा से उस द जगत म साबर साधनाओ का भी अ यास उनके िश य ारा होता आया हे. कु छ
एसी ही अलौ कक व् द साबर साधनाए आगे म तुत कर रहा जो मुझे सदगु देव िनिखले रानंदजी क कृ पा से वह
द मनोमय जगत म ा यी थी

यान ाि साधना:

यु तो यान मा अ यास का िवषय हे और जेसे क सदगु देव ने कहा हे क तुरंत ही यान लग जाए एसी कोई साधना नह
हे, यह एक अ यास हे जो िनरंतर करते रहने से ही िसि दान करता हे, ले कन मुझे सदगु देव से यह साधना ा यी थी
िजसके िवषय म उ ह ने कहा था क यह साधना करने पर साधक क यान म आगे बढ़ाने क गित अ यिधक ती हो जाती
हे और साधक कु छ दन तक इसका अ यास करता रहे तो उसे पूण यान क ाि इस साधना के सहयोग से अ यिधक कम
समय म हो जाती हे

यह साधना ह मु त म ही क जाती हे. दशा उ र रहे. व और आसान सफ़े द हो. साधक को इसमे कसी भी कार क
माला का उपयोग नह करना हे. प ासन लगाने के बाद साधक आँखे बांध कर िन मं का उ ारण मन ही मन तब करना
हे जब वायु कु भक अव था म हो. कहने का मतलब ये हे क साँस अंदर लेने के बाद इस मं का मन ही मन उ ारण कर के
बहार िनकले

ॐ कृ णाय यान दाय कर जगत पतये नमः

मं का उ ारण करते व आँखे बंद रहे और आतं रक ाटक भृकुटी के म य रहे. रोज िनयिमत प से इस मं का ह
मु त म मा १ घंटे जाप करना हे. यह योग २१ दन का हे. िजसे कसी भी वार से शु कया जा सकता हे.

िवचारशू य मि त क के िलए:

कई बार अ यिधक िवचार से मन बोिजल हो जाता हे और मानिसक संतुलन िबगडने लग जाता हे. यु कई बार साधक
साधना के दौरान कई कार के िवचार से त रहता हे व् मानिसक उजा का य यथा यो य न हो कर के िविभ दशाओ
म मन भटक जाता हे िजससे हताशा और िनराशा जेसी गंभीर मानिसक बीमारी वाभािवक हे. साबर साधना क उ को ट
क साधनाओ म से एक गु साधना हे जो िवचारशू य मानस के िलए अचूक हे और जो िसफ मनोमय जगत के साधको के
म य चिलत रही हे

यह साधना को गु वार से शु करे. यु यह साधना या तो म य राि म १२ बजे के बाद क जाती हे लेक न अगर यह संभव

Tantra kaumudi July 2011 96 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

न हो तो साधक इसे ह मु त म करे.

अपने सामने लोबान धुप को जला ले, साधना के दौरान साधना क म साधक के अलावा और कोई न हो. व इसमे ेत
रहे दशा दि ण. फर साधक ेत आसान पर बैठ कर एक हरा कपड़ा या हरा धागा अपनी दािहनी बांह पर बांध ले और
उसके बाद िन मं का जाप २ घंटे तक करे. इस साधना म जप काल के दौरान पसीना आना वाभािवक हे

उलेउ लाही उलेउ लाही उलेउ लाही

यह साधना ७ दन तक करनी हे. ७ दन तक दरगाह या मजार पर जा कर साधना सफलता के िलए दु आ करनी चािहए. ८
वे दन वह धागा या कपडा अपने हाथ से अलग कर के माजर या दरगाह पर चडा दे.

तं शि जागरण साधना:

हर एक त साधक चाहता हे क वह अपनी तांि क साधनाओ म आगे बढे और बढाता ही जाए ले कन यु होता नह हे,
इसका कारण यह होता हे क शरीर म िनिहत व तं शि सुषु अव था म होती हे, यु मनु य खुद ही तं व प हे यूँ क
वह िजस ह क खोज कर रहा होता हे, मनु य उसका ही तो अंश हे. यु यह शि क ाथिमक साधना हे िजसे करने पर
साधक के अंदर शौय व् िनडरता का आभास होने लगता हे तथा उसका मन पहले क अपे ा यादा ल य क त होता हे

यह साधना मंगलवार से शु होती हे. िजसमे दशा उ र रहे. व काले हो. भूिम पर ही आसान रहे, अगर साधक चाहे तो
मशान भ म का आसान भी बना सकता हे ले कन और कोई आसान न रहे. यह साधना राि म १.३० बजे के बाद शु करे.
अपने सामने िशव का कोई िच थािपत करे और अगरब ी जलाए. उसके बाद िन मं क ा माला से ११ माला
जाप करना हे

ॐ शंकर जटा खोले शि जरे वाहा

यह म ७ दन तक बना रहे. साधक इन ७ दन म अपने आप म वह बदलाव अनुभव करने लगेगा जो क हर एक तांि क


साधना क भावभूिम हे.

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Manomay jagat ki sadhanaye jo ki Sadgurudev ji se prapt hue

The world lays infinite secrets in itself. The part of the world we are watching is just as small as

drop of an ocean. The way milk owns butter in itself but it is invisible in its normal state, exactly the

same way the sthool jagat or world contains so many worlds or we can say infinite worlds and

innumerable secrets. Well, the Sukshm Jagat had remained famous among sadhak but when

Sadhak enters into Sukshm Jagat from Nirgad dwar and when step by step the exercise

increases, he may get success through some difficult processes of Jagat bhedan. This way, I

Tantra kaumudi July 2011 97 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

even understood some secrets beyond Sukshm Jagat from Swami Nikhileshwaranandji. Among
which one was Manomay Jagat.

The base of the Manomay Jagat is in-between last state of Sukshm Jagat which is divyatam Jagat

and Mayajagat. This way, Manomay Jagat is very important in many ways. After entering into this

world Sadhak is granted many important sadhanas which are easy in nature but the results are

completely accurate. On other hand the sadhanas are meant this way which can give success in
Spontaneous efforts.

The biggest specialty of this Jagat is that it is connected to infinite mind and the mind is center of

this world so the continuity of this world is speed of mind. This way, a sadhak can complete
sadhana with speed of mind in this world and thus in a single moment hundreds of sadhana can

be done. So, in very short span of material world’s time, one can complete sadhana. The process
is not so simple. Such processes can only be learned under guidance of component sadguru.

The divine and mysterious sadhanas of this Manomay Jagat lays every aspect. White moonlight

like light spread on every direction, any thought brought into mind get instant tangible form. How

important could be sadhanas of such Divine place could only be imagined. With grace of

Sadgurudev Nikhileshwaranandji, Sabar sadhanas are also being understood by his disciples in

that divine world. Some of such divine sadhanas I am presenting here which I received in
manomay jagat with divine grace and blessings of Sadgurudev Nikhileshwaranandji

Dhyan Prati Sadhana

Though Meditation is a subject of practice and as Sadgurudev said that there is no sadhana which

can give u instant meditation, this is practice which is applied into routine practice, can give

accomplishments but I received this sadhana from sadgurudev in which regards he told that by

completing this sadhana, the speed of success in meditation process gains boost and if sadhak

keeps on practicing thus the complete meditation can be gain through collaboration of the

sadhana in very short span of time.

Tantra kaumudi July 2011 98 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

This sadhana can only be done in Bramh Muhurt. Direction should be north. Cloth and Asan

should be white. No need of any rosary. After being in padmasana, sadhak should recite the

mantra in mind when air is in kumbhak position. It means after breathe in, chant mantra in mind

and then only breathe out.

Aum Krushnay dhyaan pradaay kar jagat pataye namah

While mantra chanting, eyes should be closed and the concentration should be on third eye.

Regularly the mantra chanting should be done for 1 hour in Bramh muhurt. This Prayog is for 21

days and could be start on any day.

For thoughtless mind:

Sometimes mind becomes dull with many thoughts and mental balance gets spoiled. This way

during sadhana even, sadhak remains Stricken with thoughts and use of mental energy get

spoiled with mind getiing into various directions. Through which mental diseases like stress and

depression take place naturally. In sabar sadhana there is an accurate secret sadhana which
can provide thoughtless mind and which remained famous among sadhak of Manomay jagat.

This sadhana should be started on Thursday. This sadhana is generally done after 12 in midnight
but if that is not possible, the sadhana can be done in Bramh Muhurt.

Light Loban dhoop infront of you; there should be no one in sadhana room except sadhak during
sadhana. Cloth should be white and direction, south. Then sadhak should sit on white asan and

tie q green cloth or thread on his right hand and then chant mantra for 2 hours. Sweating is natural
during this sadhana.

Uleullahi uleullahi uleullahi

The sadhana should continue for 7 days. For 7 days visit Majar or mosque and pray for success in

sadhana. On 8th day day, remove that cloth or thread from your hand and place it in Majar or
mosque.

Tantra kaumudi July 2011 99 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

Tantra Shakti activation Sadhana:

Every tantra sadhak wish to go ahead in his sadhanas but often this doesn’t happen. The reason

behind this situation is the power of Swa tantra remains in dormant state. Human himself is tantra

because the bramh he is looking for, they are part of the same. This way, this sadhana is primary

sadhana of shakti when performed can fill gallantry and fearlessness in sadhak and his mind even

stays concentrate on his targets.

The sadhana should be started on Tuesday. Direction should be North. Cloths should be black.

Aasan should be on land, if sadhak wishes, asan can also be prepare from smashan bhasm but

other asans are prohibited. This sadhana should be started after 1:30 in midnight. Place a
photograph of lord shiva infront of you and light Incense sticks. After that chant 11 rosary of
mantra with rudraksh rosary.

Aum Shankar Jataa Khole Shakti jare Swaha

The sadhana should be continuing till 7 days. In these 7 days, sadhak himself will start
experiencing the change which is preliminary requirement for tantric sadhana.

Tantra kaumudi July 2011 100 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

कौन नह चाहता क वह एक वा य
शारीर का वामी हो , पूण िनरोगी शारीर तो वपन ही ह पर सामा य भाषा के अनुसार भी तो श
रीर खरा उतरे , हर छोटी से बीमारी म एलॉपथी दवाइयां लेना यादातर उिचत तो
नह कहा जा सकता पर य द आप आव यक समझे तो इन बात को यान
म रख िजससे क आपका शरीर वा य रह सके ओर यादा साधना मय हो सक .

1. अ वगंधा चूण को एक च मच ले कर मीठा दू ध िप ले यह ब त ही गुणकारी औषिध ह , इसे


सभी लोग लेसकते ह.
2. पानी म थोडा सा अजवाये न और एक च मच भर नमक दाल कर उबाले और इसक भाप को
कसी िगले कपडे म सोखकर य द जोड़ पर इस कपडे को लगाये तो यह दद दू र करता ह .
3. भोजन के अंत म थोडा सा गुड खाना भी लाभदायक ह.
4. एक बादाम को अ छे से िघस कर उसे दू ध म िमलकर ित दन िपए यह तो बेहद लाभदायक ह
पर यान रहे बादाम अ छी तरह से िबलकु ल महीन से महीन पीस ले य यह इस तरह से
ही असर दखाती ह.
5. शहद के साथ मांस म छली और मुली का सेवन कभी न करे यह बेहद नु सान देहक ह.
6. य द कसी को द त न क रहे हो तो आधा कप चाय ओर आधा कप िमलकर िपने से भी आ
राम िमलाता ह
7. जहाँ मधुम खी ने काटा हो वहां पर याज का रस लगाये दद ओर सुजन दोन क कम होगी.
8. बेशरम के पौधे/झाड़ी का दू ध जहाँ दाद हो रही हो वहां लगाये , २/३ दन म दाद समा हो

Tantra kaumudi July 2011 101 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

जाएगी
9. आधा च मच काली िमच थोड़े से घी म िमलाकर लेने से ( दन म दो बार ) ने योित ठीक
होती ह .
10. गुलाब के फू ल क पंखुिडयां को दू ध म िमलाकर इस दू ध को लेप क तरह चेहरे म लगाये
फर आधे घंटे बाद धो ले , यह चेहरे क कांित वधक होगा

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Who do not want to be have a healthy body , a body completely free from all type of
dieses is a dream, but taking allopathic medicine in every small problem can not be
consider good. If have time than follow some of the tips so that you can have healthy
body and able to devote more time in sadhana.

1. If Ashwagandha powder taken about one spoon with milk( with sugar)
proved to be very good from health point of view.
2. If little bit ajvayan and salt added to water and vapors of that water when
heated absorbs in clean cloth, and if applied on joint, this reduces pain.
3. Eating gud at the end of meals is good for digestion.
4. Almonds if finely make powder type and taken with milk, than prove d to
be very effective for health purpose.
5. Never take fish, meat, muli with honey, thi sbeacmes very harmful.
6. To stop loose motion ,drink mix. of half cup water plus half cup tea only
once .
7. Aaply onion juice on the place where honey bee bite you .it heal the pain .
8. To remove daad (eczema a skin dieses ) apply milk of beshram plants, in
2/3 days you will get relief.
9. With ghee if half spoon black pepar taken than it will be good for eye
sight.
10. Mix some rose petals with milk and apply on your face and wash after half
an hour, good for face.

Tantra kaumudi July 2011 102 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

दन ित दन का जीवन तो अनेको सम याओ से िघरा ही आ ह और ि उनसे मुि पाने के


िलए यासरत रहता ही ह पर यह भी स य ह क
यह हमेशा संभव नह हो ता क हमारे पास बड़ी साधनाओ म बैठने के िलए समय हो ही . इन प रि थित म यह सरल
योग / टोटके हमारी सहायता के िलए एक रा ता दखाते ह . इसिलए इस ंखला म कु छ ऐसे ही टोटके आपके जीवन
के र ते को सरल बनाने के िलए ...

1. अमाव या को खीर बनाये ओर उसे गाय को िखला दे यह िपतृ दोष को समा करता ह .
2. घर क ऋण आ मक उजा को समा करने के िलए जब भी पौछा लगाया जा रहा हो तो उपयोग कये जा रहे
पानी म थोडा सा नमक िमला ले .
3. कसी भी अपनी रोटी का एक चोथाई भाग गाय को ओर इतना ही बाग़ कु े को िखला दे यह कसी भी
बीमारी से ठीक होने म अ यिधक लाभदायक होता ह.
4. कसी भी फटकरी के टुकड़े से इशान दशा म वि तक बना दे यह मानिसक शांित ा करने म अ यिधक
लाभदायक होता ह

Tantra kaumudi July 2011 103 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

5. जब सुबह अपनी दु कान खोल रहे हो ठीक उसी तरह जब दु कान बंद कर रहे हो तो य द आप अपने
ित ान का मु य दरवाजे को पश करते ह तो यह उसक सुर ा के िलए ब त अ छा होता ह .
6. श ु से र ा के िलए ित दन ातः हनुमान चालीसा का पाठ कर.
7. मानिसक तनाब , अवसाद से मुि के िलए भगवान् शंकर ओर शिन क पूजा कर
8. अपने घर म ९ बि यो वाला घी से भरा दया जलाये यह धनागम के िलए अ छा रहता ह
9. अपनी मतानुसार कु छ न कु छ दान करते रहे यह आपक मानिसक शांित के िलए भी अ छा रहता ह.
10. जब भी शमशान से गुजरे कु छ िस े वहां पर डाल दे यह आपको कथ य के समय सहायता दलवाएंगे.

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Totke for you .

Everyday life is full of complexity and one always try to get solution of the problem he /she is

facing , and this also true that its not always possible that we have time for big sadhana, that’s

why some small prayog or totke comes to helps us. In this series we presents theses small
totke that can help to ease your life.

1. make a kheer on amavasya and after that offer that to cow help to reduses the
pitra dosh.
2. While washing home with clothe (pouchha) add small amount of salt in water, the
reduces the negative energy in home.
3. Offer fourth part to cow and fourth part to dog or your chapatti , gives you benefit
in any dieses.
4. Take fitkari and make a swastika on that place in north east side help to gain
mantel health.
5. Every day on opening of and on the closing time one should touch the main door
of his establishment from his head , this will give protection to his establishment.
6. Chant every day “ hanuman chahlisa “ is also a way from protection from enemy.
7. One who are depressed and tense he should have to pooja of shiv and shani
too. He will get much relief.
8. Light a earthen lamp of ghee with nine batis, is good for financial purpose.
9. According to your ability offer some money as a daan to needed people.

Tantra kaumudi July 2011 104 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत


ॐ ीं सदगु दे व चरण कमले यो नमः Vol . 0 1 - No 05

In the End
With the ever
आप सभी गु
increasing /growing your support and
भाई बिहन और िम ो के दन ित दन के
love/sneh gives us more and more
बढ़ते आ ेह हम लगातार और अिधक
मेहनत को े रत करता ह अब ये strength to work hard to come up to
अंक समाि क ओर ह, आपको ये अंक कै सा your expectation ,we here,have a faith

लगा , हम सभी को िब ास ह क यह अंक that this issue come up your


आपके अपे ाओ पर खरा उतरा होगा . expectation, like that we work for you

इसी तरह हम सदैव आपके आशा पर खरे all is the prayer to beloved sadgurudev
उतर ,सदगु देव भगवान से यही ाथना ह . ji.

Our next issue will be


अगला अंक - सौ दय तं एवं काया क प Soundrya Tantra and kaya kalp
महािवशेषांक होगा इसके िव तृत िववरण के visheshank for details of that plz wait for
िलए लॉग पो ट का इं तज़ार करे
related post in the blog.

िवगत अंक क भांित इस बार भी म अपने Like in previous issue ,this time
सभी गु भाई ,बिहन से यही िनवेदन करना also make a deep request to you all as
चा ँगा क , इस इ पि का ओर लॉग के
our guru brother and sister please inform
बारे म .. समान िवचार धारा वाले ि य
को अवगत कराये / बताये .िजससे सदगु देव जी other guru brother about this e
के द ान से वे भी लाभाि वत हो सके . magazine and blog.

Tantra kaumudi July 2011 106 | P a g e साधना साधयेत या शर रम पातयेत

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