Once a proud mud house adjacent to our village house is in shambles. It started telling its glory days as also pity minutes and hours now. Adore 2 ignore, include 2 exclude, add less -delete more and it goes on . pl see photo taken and try hearing her ……. मिट्टी के घर कुछ कहते हैं कहानियाँ बस रखिए दिवारो को समझने की जुबानियाँ उनके सीने पर चोट की असंख्य निशानियाँ कितने थपेड़े सहे, मूक बधिर क़ुर्बानियाँ बन कर उनके स्वप्न मकान दी बाशिन्दों को असंख्य मुस्कान, दी राहत ,जब उन्हें लगी थकान बनी सशक्त आवाज़ , उनकी ज़ुबान देखते ही मुझे ,!! मिट्टी के ढेर से आई आवाज़ मेरी मनुष्यता को झकझोरने का हुआ आग़ाज़ तुम जब थे मेरी शरण ! मैंने अपनी गोद में तुम्हें किया वरण ! मैं अब भी रहती आतुर ,करने को तेरा दीदार तूने तो करी खड़ी, अपने-मेरे बीच दीवार जब जब तूने दर्द को मेरी खूटी पर टांगा मैंने फूँकी जान,कि मिले वो जो तुमने माँगा आज तुमने दिवारो को लीपना छोड़ दिया आँगन को बुहारना छोड़ दिया छत्त से जाले लटक गये खम्बों की ईंटे सरक गई बारजो पर भी गौरैया ने अब घर बना लिया पर तुम नहीं लौटे तुम्हारे जीवन में कई होंगी कोठियाँ तो क्या !! मैं तो बस एक बार, एक द्वार, करूँ अठखेलियाँ तुमने , मनुहार छोड़ दिया , मेरे टूटने से किसी को परवाह नहीं आज मेरे रूठने से मुझपर लगती थी उबटन की जो परत, कि हो जाये तेरा खुशहाल आज़, बेहतर हो कल अब तो !! दिवारो को खुरच, गिर रही छिटक ,ग़ल गल जाने कहाँ गई हैं वो रौनक़, दर से भटक घुटन से मेरी साँसे गई हैं अटक ऐसा हैं लगे, जिसे मैंने संजोया चटक उसने दिया मुझे अंगारों पर पटक तेरे लिये ! कोई नई बात नहीं मैंने भी बरसों बरस तेरी ये दुर्भावना सही तू और तेरी मानव शृंखला कुछ यूँ बदल हैं रहे लगे कि, किसकी सुने , किससे कहे हम चोट खा कर भी कर रहे पोषण और तू आतुर, करने को चोटिल शोषण कभी हाथों में उठा कर मुझे नापना कम्पन हो उठेगी, जरा दर्द तो भाँपना एक बार , धरती माँ के आँचल में तो लोट आसमाँ की मोतियाँ निहार, लेटे उसकी गोद lets make soil to breathe and make EARTH back to its unmatchable WORTH . Add G ( green) to (feeling of ) LOW and we all will GLOW😊😊 रवि ( Rksingh) की रविवारीय ✍️ से ( all views are personal)